किसान आंदोलन : लगभग दो हफ्तों से चल रहा प्रदर्शन, अभी तक कोई नतीजा नहीं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Farmers' Protests : केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन लगातार बढ़ता जा रहा है और एक देशव्यापी आंदोलन में बदलता जा रहा है. सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत हुई थी, लेकिन वो भी बेनतीजा रही थी. किसान इन कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. शनिवार की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए नौ दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है.
हालांकि, किसानों ने इसके पहले 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. किसानों के इस आह्वान का विपक्षी पार्टियां भी जवाब दे रही हैं. कई विपक्षी पार्टियों ने भारत बंद का समर्थन किया है. वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार की सुबह सिंघु बॉर्डर पर जमे हुए किसानों से मुलाकात करने पहुंचे. वो यहां पर किसानों के लिए हुए इंतजाम और स्थिति का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे. किसान कानून वापस न लिए जाने पर अपना आंदोलन लंबा खींचने के अपने इरादे को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
किसान आंदोलन: Live Updates on Farmers' Protest :
''यूपीए सरकार के समय योजना आयोग की सिफारिश आई थी. Central govt may enact Inter state agriculture trade act. जिस समय शरद पवार बोल रहे थे कि अगर सुधार नहीं करोगे तो हम वित्तीय समर्थन देना बंद करेंगे तब सपा, टीडीपी, लेफ्ट सब मनमोहन सरकार का समर्थन कर रहे थे. यह जो आपका दोहरा चरित्र है. आप किसी भी सीमा तक जाने को तैयार हैं.'' - रविशंकर प्रसाद
रविशंकर प्रसाद ने दिखाईं चिट्ठियां
केंद्रीय मंत्री ने पीसी में राहुल गांधी के कुछ पुराने बयान याद दिलाए. उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी ने 2013 में सारे सीएम की बैठक बुलाई थी. उसमें कहा था कि farmers can sale their crops directly in congress ruled states. शरद पवार भी विरोध कर रहे हैं. लेकिन जब वे कृषि मंत्री थे तो उन्होंने सारे सीएम को चिट्ठी लिखी. दो चिट्ठी दिखा रहा हूं एक शीला दीक्षित को लिखी, दूसरी शिवराज सिंह चौहान को लिखी. इसमें लिखा है कि कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर निवेश चाहिए इसके लिए निजी निवेश जरूरी है. इसमें मंडी कानून में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया गया. शरद पवार ने शेखर गुप्ता को इंटरव्यू दिया था. इसमें भी कहा था कि AMPC Act 6 महीने में खत्म हो जाएगा.'
केंद्रीय मंत्री का विपक्षी पार्टियों पर हमला
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्षी पार्टियों पर हमला किया. उन्होंने कहा कि 'सरकार किसानों से बातचीत कर रही है लेकिन अचानक सारे गैर बीजेपी दल कूद गए हैं. हम कांग्रेस, एनसीपी के दोहरे चरित्र को देश के सामने बताने आए हैं. आज जो हमारी सरकार ने किया यूपीए के दस साल में यही कर रहे थे. अपने राज्यों में कर रहे थे. मैं डॉक्यूमेंट्स दिखाऊंगा. किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ कहा है कि राजनीतिक दलों के नेता हमारे मंच पर न आएं. लेकिन ये कूद रहे हैं. जनता में इनका कोई वजूद नहीं है. केवल किसान आंदोलन की बात नहीं है, वो चाहे शाहीन बाग हो या कोई अन्य सुधार हो, कोई भी विषय हो ये खड़े हो जाते हैं. विरोध के लिए विरोध करते हैं. कांग्रेस का 2019 के मेनिफेस्टो मेें साफ कहा गया है कि पेज नंबर 17 प्वाइंट 11 में कि 'Congress will repeal APMC act and will make inter state trade free of restrictions.'
कांग्रेस ने कहा- आज किसानों की नहीं, सरकार की परीक्षा
कांग्रेस ने किसान संगठनों की ओर से आहूत 'भारत बंद' से एक दिन पहले सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को 'अहंकार छोड़कर' किसानों के मन की बात सुननी चाहिए और कृषि से संबंधित 'काले कानूनों' को वापस लेना चाहिए. कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मीडिया से कहा, 'देश का किसान राजनीतिक दायरे से ऊपर उठकर एकजुट है. हरित क्रांति में नेतृत्व की भूमिका निभाने वाले पंजाब ने खेती व्यापारीकरण के खिलाफ क्रांति की है. हमें गर्व है कि कांग्रेस किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है.'
उन्होंने दावा किया, 'इस कानून की मूल भावना ही सवालों के घेरे में है. दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है. आज किसानों की परीक्षा नहीं है, बल्कि सरकार की परीक्षा है कि क्या वह सबको साथ लेकर चल सकती है?'
कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर बीजेपी सरकार के लोग किसानों की बात नहीं सुनने चाहते हैं तो उन्हें आरएसएस से जुड़े संगठनों स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ की बात सुननी चाहिए.
उन्होंने कहा, 'हम प्रधानमंत्री से आग्रह करना चाहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द हल निकाला जाए. सरकार अहंकार छोड़कर किसानों के मन की बात सुने और इन काले कानूनों को वापस ले.
जाखड़ ने यह भी कहा कि इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए. (भाषा)
अखिलेश का बीजेपी पर हमला
अखिलेश यादव को आज कन्नौज में 'किसान यात्रा' में शामिल होना था, मगर उससे पहले ही पुलिस ने उनके घर और पार्टी दफ्तर के आसपास का इलाका अवरोधक लगाकर सील कर दिया. अखिलेश कन्नौज जाने के लिये अपने घर से निकले तो पुलिस ने उनकी गाड़ी को रोक लिया. इससे नाराज पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश धरने पर बैठ गये. बाद में उन्हें हिरासत में लेकर पुलिस वैन में बैठा दिया गया.
धरने के दौरान अखिलेश ने मीडिया से कहा, 'बीजेपी का यह तानाशाही रवैया है. उसने संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं. बीजेपी के लिये कोई कोरोना नहीं है. सिर्फ विपक्षियों के लिये है. बीजेपी देश में कहीं भी सभाएं और चुनाव प्रचार कर ले, उसके लिये कोई कोरोना नहीं है. सरकार कोरोना के सहारे लोकतंत्र का गला घोंटना चाहती है.'
उन्होंने कहा, 'केवल पार्टी कार्यालय में ही नहीं, बल्कि सरकार हर समाजवादी कार्यकर्ता को अपमानित कर रही है. हम अपने घर से निकलकर किसानों के बीच अपनी बात रखते. जिस कानून को लेकर किसान दिल्ली घेरकर बैठा है, सरकार उसे वापस क्यों नहीं ले रही है. सरकार पर अविश्वास बढ़ रहा है. सरकार अब बचने वाली नहीं है.' (भाषा)
अखिलेश यादव हिरासत में
समाजवादी पार्टी के मुखिया के घर के रास्ते पर यूपी पुलिस ने पूरी तरह बैरिकेडिंग कर दी थी, जिसके बाद अखिलेशय यादव ने वहीं, धरना दिया. इसके बाद उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार की सुबह सिंघु बॉर्डर किसानों के लिए हुए इंतजाम का जायजा लेने पहुंचे. उन्होंने कहा कि वो यहां पर स्वच्छता और पानी वगैरह का इंतजाम देखने आए हैं. केजरीवाल ने कहा, 'हमारी पूरी सरकार MLA, पार्टी के कार्यकर्ता, और मैं खुद, हम लोग एक सेवादार की तरह किसानों की सेवा में लगे हुए आज हमें मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं आया एक सेवादार के तौर पर आया हूं किसानों की सेवा करने के लिए आया हूं किसान 24 घंटे मेहनत करके खून पसीना बहा कर हमारी सेवा कर रहे हैं आज किसान मुसीबत में है हम सब देशवासियों का फर्ज है कि किसानों के साथ खड़े हो और उनकी सेवा करें.' उन्होंने भारत बंद को भी अपना समर्थन दिया.