केंद्र के श्रम सुधारों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने की देशव्यापी हड़ताल, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन

CITU के महासचिव तपन सेन ने NDTV से कहा, "ये संघर्ष देश बचाने के लिए है. ये सरकार मज़दूर विरोधी है". वहीं INTUC के उपाध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि ये लेबर कोड नहीं लेबर लोड है. मज़दूर स्ट्राइक नहीं कर सकते, यूनियन नहीं बना सकते

केंद्र के श्रम सुधारों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने की देशव्यापी हड़ताल, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन

10 बड़े केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने इस देशव्यापी बंद का समर्थन किया (प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार और श्रमिक संगठनों के बीच श्रम सुधार के एजेंडे को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है. देश के 10 बड़े श्रम संगठनों से जुड़े मज़दूरों ने गुरुवार को इन श्रम सुधारों के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल की. देश के सभी उपक्रमों और फैक्ट्रियों में आहूत इस बंद का अलग-अलग इलाकों में असर दिखाई पड़ा. श्रमिक संगठनों की यह हड़ताल ऐसे वक्त की गई, जब कृषि सुधारों से जुड़े तीन कानूनों के खिलाफ किसानों ने भी आंदोलन का बिगुल फूंक रखा है. किसान संगठन सरकार से ये कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

देश के कई हिस्सों में केंद्रीय श्रमिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे. श्रमिक संगठनों ने इस हड़ताल के जरिये सरकार को संदेश देने की कोशिश है कि चारों श्रम सुधार के कानून उन्हें स्वीकार नहीं है. वो इन सुधारों को लागू करने की पहल की अवहेलना करेंगे. दिल्ली में प्रदर्शन करने जमा हुए मज़दूर नेताओं को दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी.

CITU के महासचिव तपन सेन ने NDTV से कहा, "ये संघर्ष देश बचाने के लिए है. ये सरकार मज़दूर विरोधी है". वहीं INTUC के उपाध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि ये लेबर कोड नहीं लेबर लोड है. मज़दूर स्ट्राइक नहीं कर सकते, यूनियन नहीं बना सकते, आज जबकि हालत है कि पावर सेक्टर बंद है, स्टील सेक्टर बंद है. देश के 10 बड़े मज़दूर संगठनों का आरोप है कि श्रम सुधारों की यह पहल मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करने की और मालिकों को ज्यादा अधिकार देने के लिए शुरू की गई है. AITUC महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि सरकार ने किसानो के खिलाफ भी बिल पारित किया है. ये शहर और गांव दोनों पर हमला है. इन श्रमिक नेताओं की प्रतिक्रिया से साफ़ है, ये टकराव जल्दी ख़त्म होगा, इसके आसार दिखाई नहीं देते.

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RSS से जुडी भारतीय मज़दूर संघ इस हड़ताल में शामिल नहीं है. वामपंथियों के प्रभाव वाले केरल औऱ बंगाल में गुरुवार सुबह को हड़ताल के कारण ट्रेन सेवाओं पर प्रभाव पड़ा. श्रमिक संगठनों के सदस्यों ने बंगाल के कुछ इलाकों में रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया. वहीं केरल में कोच्चि समेत कुछ क्षेत्रों में सड़क और बाजार कई इलाकों में बंद रहीं और बेहद कम बसें ही दिखाई दीं.

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इस हड़ताल में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस(AITUC), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर(AIUTUC), ट्रेड यूनियन कोआर्डिनेशन सेंटर (TUCC), सेल्फ एम्प्लाइड वुमेन्स एसोसिएशन(SEWA), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस(AICCTU)  और संगठन शामिल हैं.