
RBI की एक टीम की सिफारिश पर राहुल गांधी ने जताया विरोध. (फाइल फोटो)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मंगलवार को बैंकिंग सेक्टर में कारोबारियों के दखल (NBFCs in Banking Sector) की सिफारिश को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले कुछ बड़ी कंपनियों का कर्ज माफ किया और अब उन्हें ही बैंक खोलने की अनुमति दे रही है, जिसके चलते लोगों की बचत सीधे इनके बैंकों में जाएगी.
राहुल ने लिखा, 'क्रोनेलॉजी समझिए, पहले कुछ बड़ी कंपनियों का कर्ज माफ किया, फिर इनको टैक्स में बड़ी छूट दी. अब इन कंपनियों की ओर से खोले गए बैंकों में लोगों की बचत डाली जाएगी. सूट बूट की सरकार.'

उनके इस ट्वीट पर शशि थरूर ने भी प्रतिक्रिया दी. थरूर ने कहा कि यह एक अहम बिंदु है, कांग्रेस को आर्थिक सुधारवादी बने रहना चाहिए, वहीं विकासवादी दिशा के रास्ते पर भी बने रहना चाहिए (क्योंकि आखिरकार ग्रोथ से ही सरकार को अपने सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों में सहायता के लिए राजस्व मिलता है), क्रोनी कैपिटलिज्म का विरोध होना ही चाहिए.
बता दें कि पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बनाए गए एक एक आंतरिक कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) ने कई सुझाव दिए थे. इन सुझावों में यह सिफारिश भी शामिल है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम में आवश्यक संशोधन करके बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिया जा सकता है.
इस सिफारिश का विरोध रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भी किया है. इन दोनों पूर्व अधिकारियों ने साथ में एक लेख लिखा है, जिसे लिंक्डइन पर पोस्ट किया गया था. इस लेख में इन्होंने कहा है कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश आज के हालात में चौंकाने वाली है. दोनों का मानना है कि बैंकिंग क्षेत्र में कारोबारी घरानों की संलिप्तता के बारे में अभी आजमायी गयी सीमाओं पर टिके रहना अधिक महत्वपूर्ण है.
(भाषा से इनपुट के साथ)
Video: कोविड के दौर में परेशान हैं मोबाइल रिटेलर्स, पीएम से मदद की लगायी गुहार