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‘मेरी मौत के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है. मैं अपने घर में कई ख़र्चों की वजह हूं. मैं उन पर बोझ बन गई हूं. मेरी शिक्षा एक बोझ है. मैं पढ़ाई के बिना ज़िंदा नहीं रह सकती.’
ये अंतिम शब्द हैं जो अपने शहर की टॉपर रही ऐश्वर्या रेड्डी ने सुसाइड नोट में लिखे हैं.
हैदराबाद के पास शाद नगर की रहने वाली ऐश्वर्या ने बारहवीं की परीक्षा में 98 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल कर अपना शहर टॉप किया था और वो दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज में गणित में स्नातक कर रहीं थीं.
लॉकडाउन के दौरान उन्हें वापस अपने घर जाना पड़ा जहां आर्थिक परिस्थितियों की वजह से उनके लिए पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो गया.
लेडी श्रीराम कॉलेज की एक छात्रा ने तेलंगाना में आत्महत्या कर ली। लॉकडाउन के कारण वह पढ़ाई जारी रखने में सक्षम नहीं थी। फरवरी से कॉलेज बंद है और ऑनलाइन पढ़ाई जारी है। जिसके पास लैपटॉप, वाईफाई की सुविधा नहीं है वह बिना पढ़े ही परीक्षा देने को मजबूर होंगे। तेलंगाना की उस 19 वर्षीय छात्रा ऐश्वर्या रेड्डी के सामने भी यही दिक्कत थी। उनका परिवार पहले से ही कर्ज में डूबा था और लॉकडाउन में कमाई भी ख़त्म हो गई थी। इस वजह से ऐश्वर्या लैपटॉप नहीं ख़रीद पाई थीं और ऑनलाइन पढ़ाई करने में सक्षम नहीं थीं। उन्होंने आत्महत्या के कारणों का ज़िक्र कथित सुसाइड नोट में किया है।
ऐश्वर्या ऐसी एकमात्र छात्रा नहीं हैं जिनके सामने यह समस्या है। इसकी समस्या कितने बड़े स्तर पर है इसकी तरफ़ इशारा कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने भी किया है। ऐश्वर्या की आत्महत्या की ख़बर को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि लॉकडाउन और नोटबंदी ने अनगिनत घरों को तबाह कर दिया।
कोरोना संक्रमण के कारण मार्च महीने में लॉकडाउन लगाने से पहले से ही कॉलेज बंद होने लगे थे और उसके बाद भी अधिकतर शिक्षण संस्थानों में यही दिक्कतें हैं। इससे लाखों छात्र प्रभावित हुए हैं। वे छात्र जो संपन्न घरों से आते हैं और शहरों में रहते हैं उनके सामने कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन उन छात्रों के सामने ज़्यादा दिक्कत है जिनके परिवार के लोगों की नौकरियाँ चली गई हैं या दूसरी आमदनी घट गई हैं। ऐसे परिवारों को अपनी आर्थिक स्थिति को संभालना ही मुश्किल हो रहा है।