बिहार चुनाव में सीमांचल की 24 सीटें भी शामिल हैं. इन सीटों पर AIMIM के कूदने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. किशनगंज में अधिकतर मुस्लिम वोटर हैं. चुनावी मैदान में मतदाताओं के मन में राजद और AIMIM के उम्मीदावारों को लेकर असमंजस है.
एनडीटीवी से बातचीत में मतदाताओं ने रोजगार, महंगाई जैसे मुद्दे गिनाए. लोगों का कहना है कि नीतीश जी को इन चीजों पर काम करना चाहिए था लेकिन किया नहीं. मतदाताओं ने कहा कि सीएए-एनआरसी भी चुनाव में मुद्दा रहने वाला है क्योंकि एनडीए सरकार मुसलमानों को भारत से बाहर करना चाहती है. लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार की बीजेपी के सामने नहीं चलने वाली है.
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लोगों में नीतीश को लेकर नाराजगी इस बात की भी है कि महागठबंधन को 2015 में जनादेश मिलने के बाद भी नीतीश कुमार ने बीजेपी का दामन थाम लिया. मतदाताओं को तेजस्वी यादव के नौकरी-रोजगार की बातों पर यकीन है इसलिए वे राजद के साथ जाना चाहते हैं. हालांकि कुछ लोगों को ओवैसी की पार्टी से उम्मीद है कि वे ज्यादा विकास करेंगे. उनका कहना है कि ओवैसी ही हैं जो मुसलमानों की आवाज हैं. लोगों का कहना है कि वोट AIMIM को दें या RJD को चुनाव के बाद दोनों साथ आ जाएंगे.