
Navratri 2020: दुर्गा पूजा पंडालों में सजी मां सुंदर मूर्तियां कई महत्वपूर्ण चीजों से बनाई जाती हैं.
Navratri 2020: जब नवरात्रि की बात आती है, तो देवी दुर्गा की मूर्तियों के बिना नवरात्रि का यह उत्सव अधूरा सा लगता है. इस वर्ष नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 यानि आज से शुरू हैं और 25 अक्टूबर 2020 तक चलेगी. इन नौ दिनों के दौरान देश भर में लोग देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करेंगे. नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करने के अलावा भक्तों के लिए एक प्रमुख आकर्षण दुर्गा पूजा पंडालों में जाकर मां दुर्गा के दर्शन करना और उत्सव का आनंद लेना है. दुर्गा पूजा पंडालों में सजी ये भव्य मूर्तियां बेहद खूबसूरत को मन को मोह लेने वाली होती है. इनका आकर्षण बहुत अद्भुत होता है. लेकिन, क्या आप ये जानते हैं कि मां दुर्गा की ये आकर्षक मूर्तियां किन महत्वपूर्ण चीजों से मिलकर बनी होती हैं. अगर आपको लगता है कि ये मूर्तियां केवल मिट्टी और रंगों से मिलकर बनीं हैं, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. यहां हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि दुर्गा पूजा पंडालों में सजी मां की ये सुंदर और आकर्षक मूर्तियां किन महत्वपूर्ण चीजों से बनाई जाती हैं...
गोमूत्र
गाय के मूत्र या गोमूत्र का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हिंदू धर्म में गाय को एक पवित्र पशु माना जाता है क्योंकि वह हमें दूध देती है, बिल्कुल वैसे ही जैसे कि एक मां करती है.
वेश्यालय की मिट्टी
वेश्यालयों के आंगन से निकली मिट्टी, देवी दुर्गा की मूर्तियों को बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि जब लोग वेश्यालय में प्रवेश करते हैं, तो वे अपनी तपस्या और पवित्रता को पीछे छोड़ देते हैं. इस वजह से वेश्यालयों की मिट्टी को दुनिया में काफी शुभ माना जाता है.
गाय का गोबर
गोमूत्र की तरह ही गाय के गोबर का हिंदू संस्कृति में बड़ा महत्व है. गोबर का उपयोग विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों में किया जाता है. कभी भी गोबर के बिना कोई धार्मिक
गतिविधि पूरी नहीं होती. इसका उपयोग घर को शुद्ध करने के लिए भी किया जाता है. देवी की मूर्तियों को बनाते समय, गोबर को मिट्टी और गोमूत्र के साथ मिलाया जाता है.
गंगा से कीचड़
अगर आप हिंदू समुदाय से संबंधित हैं या इस धर्म के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं, तो आप इस बात से सहमत होंगे कि गंगा नदी को पवित्र मां कहा जाता है. लोग इसके पानी और कीचड़ को काफी शुभ मानते हैं और इसे हमेशा धार्मिक गतिविधियों में उपयोग करते हैं. इसलिए देवी दुर्गा की मूर्तियों का निर्माण गंगा नदी के किनारों से ली गई मिट्टी का उपयोग करके किया जाता है.
तिनके
मिट्टी और गाय के गोबर का उपयोग करके तैयार की गई मूर्ति अपने आप खड़ी नहीं हो सकती है और इसलिए इसे कठोर और मजबूत बनाने के लिए, तिनके का उपयोग किया जाता है. लोग आमतौर पर गेहूं और धान की फसलों के भूसे और भूसी का उपयोग करते हैं.
बांस की डंडियां
मूर्तियों को मजबूत समर्थन और उचित आकार देने के लिए, कलाकार बांस की डंडियों का उपयोग करते हैं. बांस की छड़ का उपयोग सबसे पहले मूर्तियों को मोटा आकार देने के लिए किया जाता है और फिर डमी प्रतिमा बनाने के लिए बांस के साथ पुआल बांधा जाता है और फिर उस पर कीचड़ लगाया जाता है.
गंगा जल
गंगा हिंदू धर्म की पवित्र नदियों में से एक है. गंगा नदी को इतना शुद्ध माना जाता है कि लोगों का मानना है कि इसके पानी में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं. देवी दुर्गा की मूर्तियों को बनाते समय कलाकार हमेशा गंगा के पवित्र जल का इस्तेमाल करते हैं.