लिम्का बुक में दर्ज है इस IAS का नाम, जॉब छोड़कर 4 महीने में ही बना ताकतवर मंत्री

श्रीकांत 1978 में इंडियन सिविल सर्विसेज एग्जाम में बैठे। उनका सेलेक्शन भारतीय पुलिस सेवा यानी आईपीएस में हुआ। उन्होंने इसे छोड़ दिया।

Published by Aditya Mishra Published: September 14, 2020 | 11:06 am
Modified: September 14, 2020 | 11:07 am
Shrikant Jichkar

श्रीकांत जिचकर(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: भारत में प्रतिभा की आज कोई कमी नहीं है। पूरी दुनिया इस बात को मानती आई है। यहां के लोगों की प्रतिभा का हर कोई मुरीद है। अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिक इसी माटी में पैदा हुए। फिर अपने प्रतिभा के दम पर ही देश के राष्ट्रपति भी बने।

इसी कड़ी में आज हम आपको भारत के डॉ. श्रीकांत जिचकर के बारें में बता रहे हैं। 14 सितंबर 1954 के दिन जिचकर का जन्म हुआ था। उनके पास 20 से ज्यादा डिग्रियां थीं। उन्हें भारत का सबसे पढ़ा-लिखा शख्स कहा जाता है। लिम्का बुक ने उन्हें देश का सबसे योग्य व्यक्ति बताया था।

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ऐसे लगा दी डिग्रियों की झड़ी

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एमबीबीएस डॉक्टर के तौर पर की। फिर नागपुर से एमडी की। श्रीकांत 1978 में इंडियन सिविल सर्विसेज एग्जाम में बैठे। उनका सेलेक्शन भारतीय पुलिस सेवा यानी आईपीएस में हुआ।

उन्होंने इसे छोड़ दिया। वो फिर इसी एग्जाम में बैठे। अबकी बार उनका चयन एक आईएएस के रूप में हो गया। लेकिन 4 महीने बाद इस शानदार नौकरी को भी ठुकरा दिया। वजह थी चुनाव मैदान में कूदना।

1980 में वो महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विजयी रहे। 26 साल की उम्र में देश के सबसे युवा विधायक बने। बाद में मंत्री भी बने। उनकी गिनती देश के सबसे ताकतवर मंत्रियों में की जाती थी।

अगर हम उनके अन्य डिग्रियों की बात करें तो उनके पास एलएलएम यानी इंटरनेशनल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन की भी डिग्री थी। उसके बाद उन्होंने डीबीएम और एमबीए (मास्टर्स इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) का कोर्स कम्प्लीट किया।

लेकिन अभी श्रीकांत कहां थकने वाले थे। उन्होंने पत्रकारिता का कोर्स भी कम्प्लीट किया। बेचलर ऑफ जर्नलिज्म की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद संस्कृत में डीलिट (डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) कम्प्लीट किया। जो किसी भी यूनिवर्सिटी की सबसे उच्च डिग्री है।

श्रीकांत ने इतिहास, अंग्रेजी साहित्य, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, दर्शन शास्त्र, राजनीति विज्ञान, प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व और मनोविज्ञान में भी एमए की डिग्री हासिल की। मालूम हो कि ये तमाम डिग्रियां उन्होंने मेरिट में रहकर हासिल की थी। उन्हें अपने अच्छे मार्क्स के लिए कई बार गोल्ड मेडल भी प्राप्त हुए। उन्होंने 1973 से लेकर 1990 तक तकरीबन 42 यूनिवर्सिटी एग्जाम दिए।

Dr. Shrikant Jichkar
डॉ. श्रीकांत जिचकर(फोटो-सोशल मीडिया)

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आईएएस की नौकरी छोड़ बने मंत्री

लेकिन अभी श्रीकांत रुकने वाले कहां थे। उन्होंने आगे चलकर राजनीति का रुख किया। चुनाव लड़े और महाराष्ट्र के सबसे ताकवर मंत्री भी बने। ऐसा बताया जाता है कि उनके पास उस समय 14 विभाग थे।

यहां पर उन्होंने 1982 से 85 तक विभागों का काम देखा। फिर आगे चलकर 1986 में वो महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य चुन लिए गये। 1992 तक वे यही पर रहे। इसके बाद 1992 से 1998 के बीच वो राज्यसभा में भी रहे।

उन्हें करीब से जानने वाले लोगों ने बताया कि जब 1999 में डॉ. जिचकर राज्यसभा का चुनाव हार गए तो उन्होंने अपना सारा ध्यान यात्राओं पर टिका दिया। वे देश के कई हिस्सों में गए और वहां स्वास्थ्य, शिक्षा और धर्म पर अपने विचार जनता के सामने रखें। उन्होंने यूनेस्को में भारत का रिप्रेजेंटेशन किया।

श्रीकांत के पास देश की सबसे बड़ी पर्सनल लाइब्रेरी थी। ऐसा बताया जाता है कि उसमें 52000 से ज्यादा किताबें थीं। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में डॉ. जिचकर का नाम भारत के सबसे ज्यादा एजुकेटेड व्यक्ति के तौर पर शामिल किया गया था।

Minister Shrikant Jichkar
डॉ. श्रीकांत जिचकर(फोटो-सोशल मीडिया)

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शिक्षा के क्षेत्र में किये कई बड़े काम

इसके अलावा वे एक अकादमिक, पेंटर, प्रोफेशनल फोटोग्राफर और स्टेज कलाकार भी थे। उन्होंने 1992 में एक स्कूल शुरू किया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपने बलबूते पर महाराष्ट्र में संस्कृत यूनिवर्सिटी की नींव रखी और उसके चांसलर भी बने।

02 जून 2004 की रात श्रीकांत कार से अपने दोस्त के फॉर्म से घर के लिए नागपुर निकले। वो खुद कार ड्राइव कर रहे थे। रास्ते में उनकी कार एक बस से टकरा गई। इस हादसे में 49 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

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