
पंडित रामनरेश दुबे.
खास बातें
- मुस्लिम दोस्त का श्राद्ध करते हैं पंडित रामनरेश
- सड़क दुर्घटना में हो गई थी सैय्यद वाहिद की मौत
- पंडित रामनरेश ने चौथे दिन किया मित्र का तर्पण
62 साल में दोस्त का साथ छूटा, पितृपक्ष आया तो उसके लिये तर्पण किया. कहानी में फर्क इतना है कि पंडित रामनरेश दुबे ये तर्पण अपने मित्र सैय्यद वाहिद अली के लिए करते हैं. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर (Sagar) जिले की सुरखी विधानसभा के एक छोटे से गांव चतुरभटा में पंडित रामनरेश दुबे पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण तो करते ही हैं लेकिन साथ-साथ अपने स्वर्गवासी मित्र सैयद वाहिद अली का भी तर्पण करते हैं.
दोनों बचपन के मित्र रहे हैं, पेशे से वकील सैयद वाहिद अली जो सागर के निवासी थे, उनकी एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. पितृपक्ष में पंडित रामनरेश दुबे ने सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का मूलपाठ कराया और चौथे दिन मित्र का तर्पण किया.
सागर में पंडित रामनरेश दुबे, हर पितृपक्ष के दौरान अपने मित्र सैयद वाहिद अली का तर्पण भी करते हैं पंडितजी को कहते हैं कि शास्त्रों में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि आप सिर्फ अपने धर्म के लोगों का तर्पण कर सकते हैं @ndtvindia@ndtv@narendramodi@PMOIndia@ChouhanShivraj@INCIndiapic.twitter.com/IKJhhLYHeP
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) September 12, 2020
पंडित रामनरेश दुबे का कहना है कि हिंदू परिवार में तो तर्पण होता ही है लेकिन वो हमारे बाल्यकाल से मित्र थे, इसलिए हमने उनको अपने भगवान से विनय की कि हमारी पूजा से उनका उद्धार हो जाए. वाहिद अली के बेटे वाजिद अली का कहना है कि रामनरेश चाचा और अब्बा में चोली-दामन का साथ था. वह उनके पिता के लिए तर्पण कर रहे हैं, इससे अच्छी बात दूसरी नहीं.
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