मुर्दों की नदी में महिला, दो हजार किलोमीटर दूर से आएगी लाश

अधिकारियों का कहना है कि खैरुन्निशा की लाश को भारत तभी भेजा जाएगा जब भारत सरकार इस मामले में कोई पहल करे। हालांकि जहां लाश मिली है वहां से लद्दाख के इस गांव की दूरी मात्र दस किलोमीटर के लगभग है। लेकिन ये रास्ता बंद है। लाश को वाघा बार्डर से ही भारत लाया जा सकता है।

shyok river

लद्दाख की मौत की नदी (फोटो सोशल मीडिया)

लद्दाख के सीमावर्ती गांव बयोगांग की रहने वाली एक महिला श्योक नदी में बह गई। उसकी लाश दस किलोमीटर दूर पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान के थोंगमोस में मिली। शव मुर्दाघर में रखा है लेकिन सीमा का ये झंझट अब उसके माता-पिता तक उस महिला की लाश पहुंचने में बड़ा अवरोध बन गया है। अगर भारत सरकार पाकिस्तान से गुजारिश करे तभी उस महिला की लाश 2000 किमी का चक्कर लगाकर उसके माता-पिता तक पहुंच सकती है। इस संबंध में खैरुन्निशा के परिवार ने कमिश्नर को पत्र लिखकर अनुरोध किया है।

अपनी बेबसी पर बिलखते ख़ैरुन्निसा के बुज़ुर्ग माता-पिता ने अपनी पीड़ा एक वीडियो संदेश में व्यक्त कर वायरल की जिसे लद्दाख की लोकप्रिय लोकगायक शेरीन फ़ातिमा बलती ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर इसे साझा कर आगे बढ़ाया।

दरअसल लद्दाख में बहने वाली श्योक नदी बहुत खतरनाक मानी जाती है। श्योक का अर्थ होता है श्योक नदी का स्थानीय भाषा में अर्थ होता है मृतकों की नदी। इस नदी में अक्सर लाशें बहती मिलती हैं। कहते हैं तमाम लाशें आत्महत्या के इरादे से इसमें कूदने वाले लोगों की होती हैं।

श्योक नदी सिन्धु नदी की सहायक है। सियाचिन हिमनद की एक उपशाखा रिमो हिमनद से निकलती है। काफ़ी दूरी तक यह लद्दाख पर्वत श्रेणी के उत्तर में सिन्धु नदी के समानांतर बहती है जबकि सिन्धु नदी इस पर्वत के दक्षिण में बहती है।

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तीस साल की ख़ैरुन्निसा, लद्दाख के सीमावर्ती गांव बयोगांग की थी। वह लापता हो गई तो उसके माता पिता ने उसकी तस्वीर सीमावर्ती गांवों में भेजी। इस बीच खैरुन्निशा का शव सोमवार सुबह पाकिस्तान के गिलगित-बल्तिस्तान में थोंगमोस में मिल गया। अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि खैरुन्निशा की मौत कैसे हुई। लेकिन उसकी लाश स्कर्दू में ज़िला अस्पताल के मुर्दाघर में रखी है।

ये है पेंच

अधिकारियों का कहना है कि खैरुन्निशा की लाश को भारत तभी भेजा जाएगा जब भारत सरकार इस मामले में कोई पहल करे। हालांकि जहां लाश मिली है वहां से लद्दाख के इस गांव की दूरी मात्र दस किलोमीटर के लगभग है। लेकिन ये रास्ता बंद है। लाश को वाघा बार्डर से ही भारत लाया जा सकता है।

इसीलिए दस किलोमीटर की दूरी हजारों किलोमीटर में बदल गई है। स्कर्दू से लाहौर की दूरी लगभग 984 किलोमीटर है। लाहौर से अमृतसर की वाघा सीमा 28 किलोमीटर और अमृतसर से लद्दाख की दूरी 898 किलो मीटर है।

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अब देखना ये है कि खैरुन्निशा के माता-पिता की फरियाद कब तक रंग लाती है या अपनों तक पहुंचाने के लिए लाश को कब तक इंतजार करना होगा। जानकार बताते हैं कि इस तरह की बहुत सारी लाशें पाकिस्तान में दफन है जिन्हें अपनों से मिलने का इंतजार है।

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