राजीव गांधी के मित्र सैम पित्रोदा के चचेरे भाई को एम्स में नहीं मिला इलाज, निधन

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मित्र रहे सैम पित्रोदा के चचेरे भाई ललित मोहन पित्रोदा का शनिवार को निधन हो गया। वे 72 वर्ष के थे। उन्हें कोरोना हो गया था।

Lalit Mohan Pitroda and Sam Pitroda

ललित मोहन पित्रोदा और सैम पित्रोदा की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मित्र रहे सैम पित्रोदा के चचेरे भाई ललित मोहन पित्रोदा का शनिवार को निधन हो गया। वे 72 वर्ष के थे। उन्हें कोरोना हो गया था। उन्होंने शनिवार की सुबह करीब 6 बजे मेकाहारा अस्पताल में अंतिम सांस ली।

ललित मोहन पित्रोदा के बेटे अमित पित्रोदा ने निधन की पुष्टि की है। उन्होंने ये भी  बताया कि एम्स ने उन्हें लौटा दिया था और मेकाहारा में भर्ती रहने के दौरान उनकी सही देखभाल नहीं हुई।

उन्होंने बताया कि वे 1 सितंबर को अपने पिता व मां की कोरोना जांच कराने के लिए एम्स गए हुए थे। वहां डॉक्टरों ने देखा तो उनके पिता यानी ललित का ऑक्सीजन लेवल 70 आ रहा था। एम्स के डॉक्टरों ने पहले तो उन्हें भर्ती करने की बात कही।

फिर उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि वहां बेड नहीं है। जिसके बाद वे रात 8 बजे से करीब 1 बजे तक निजी अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन किसी ने भर्ती नहीं लिया। अमित के मुताबिक उनके पिता को किसी तरह मेकाहारा के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर लिया गया।

वहां ऑक्सीजन बेड मिला। डॉक्टरों ने रैपिड टेस्ट कराया तो उसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कराने की बात कही। लेकिन इसमें भी देर करते हुए 2 तारीख की सुबह 6 बजा दिए गये।

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मरीज का इलाज करते डॉक्टर्स की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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निधन के समय सिर पर थे चोट के निशान

अमित ने बताया कि शनिवार की सुबह करीब 5 बजे पिता को प्रेशर आने पर डॉक्टरों ने उन्हें टॉयलेट जाने से मना कर दिया। लेकिन जब बहुत जरूरी हो गया तो वे खुद ही टॉयलेट चले गए। पहले से ही उन्हें सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही थी। शायद ज्यादा सफोकेशन के कारण वे वहां चक्कर आने के कारण गिर गए और किसी चीज से टकरा गए। उनके सिर पर चोट का निशान था।

मेकाहारा में अव्यवस्थाओं का बोलबाला

अमित के मुताबिक मेकाहारा में सीनियर डॉक्टर नहीं है, जो मरीज का ठीक तरह से उपचार कर सके। मरीजों के लिए पीने के पानी तक व्यवस्था नहीं है। आईसीयू के शौचालय में भी काफी गंदगी है। आईसीयू में भी सिर्फ चार जूनियर डॉक्टर ड्यूटी कर रहे हैं जो प्रोटोकॉल के तहत मरीज को गोलियां खिलाते रहते हैं। आईसीयू के नाम पर सिर्फ ऑक्सीजन है।

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आम आदमी की तरह लगते रहे डॉक्टरों के चक्कर

अमित का कहना है कि उन्होंने या उनके परिवार के लोगों ने सैम पित्रोदा के परिवार का होने के बावजूद भी एम्स में उनका नाम नहीं लिया। अमित ने एक आम इंसान की तरह ही अस्पतालों में भागते रहे और किसी तरह मेकाहारा में अपने पिता को भर्ती कराया और तकलीफें होने पर भी किसी को अपने परिवार के रसूख के बारे में नहीं बताया।

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बुखार चेक करते डॉक्टर की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

किसी पर दोषारोपण करना ठीक नहीं

इस पूरे मामले में सैम पित्रोदा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें इस स्थिति में बिना तथ्यों के किसी पर भी दोष नहीं मढऩा चाहिए। मुझे ललित की मौत की खबर है। मैंने उनके बेटे से बात की है। मुझे डिटेल जानकारी नहीं है। जितना मुझे पता है, वे कोविड पॉजिटिव थे। तीन दिन से आईसीयू में भर्ती थे। यह दुर्भाग्य है कि तीन दिन में ही उनकी मौत हो गई। डॉक्टर ही मृत्यु के कारणों के बारे में बता सकते हैं।

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