लद्दाख में तनाव के बीच दक्षिणी पैंगॉन्ग में बढ़ी चीनी टैंकों और सैनिकों की मौजूदगी

पूर्वी लद्दाख में 30 अगस्त को चीनी जवानों को पीछे खदेड़ते हुए भारत ने कई ऊंचाई के इलाकों पर कब्जा जमा लिया था, उसके बाद से इलाके में चीनी सेना के अस्त्र-शस्त्र की मौजूदगी काफी बढ़ी हुई दिख रही है.

लद्दाख में तनाव के बीच दक्षिणी पैंगॉन्ग में बढ़ी चीनी टैंकों और सैनिकों की मौजूदगी

नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख में 30 अगस्त को चीनी जवानों को पीछे खदेड़ते हुए भारत ने कई ऊंचाई के इलाकों पर कब्जा जमा लिया था, उसके बाद से इलाके में चीनी सेना के अस्त्र-शस्त्र की मौजूदगी काफी बढ़ी हुई दिख रही है. पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी टैंकों और पैदल सैनिकों की बढ़ी हुई मौजूदगी देखी गई है. अगर चीनी तोपों की रेंज देखें तो अनुमान है कि चीनी तोपखाने वास्तविक नियंत्रण रेखा से 20 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर अंदरूनी हिस्सों में पोजीशन लिए हुए हो सकते हैं.

सूत्रों ने NDTV को बताया है कि दक्षिणी पैंगॉन्ग में चीन के सीमा के अंदर आने वाले मोल्डो से कुछ ही दूरी पर अतिरिक्त टैंक बलों की मौजूदगी देखी गई है. हालांकि, चीनी सेना की गतिविधियों पर भारतीय सेना की नजर हैं, क्योंकि उसका थाकुंग से लेकर मुकपुरी के पार तक की चोटियों पर मौजूदगी है. इसमें Spanggur दर्रे की दो चोटियां भी शामिल हैं. बहुत ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा दो किलोमीटर चौड़ा है, जिसपर आसाानी से टैंकों की गतिविधियां की जा सकती हैं.

भारतीय सेना ने इलाके में अपनी टैंकों की पोजिशनिंग भी बढ़ाई है और अतिरिक्त बलों को तैनात किया है, ताकि LAC के ऊंचाइयों वाले इलाके में उसकी मौजूदी और मजबूत हो सके. चोटियों पर अपनी स्थिति मजबूत करके भारतीय सेना चीनी सेना की कवच और उसके जवानों की टुकड़ियों को एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, रॉकेट और दूसरे हथियारों से जवाब देने में सक्षम है. भारत पूर्वी लद्दाख के ऊंचे इलाकों में मिसाइल से सशस्त्र भारी बैटल टैंक T-90 का इस्तेमाल भी करता है. T-72M1 टैंकों को अपग्रेड कर यह टैंक लाया गया है.

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NDTV को पता चला है कि इलाके में भारतीय सेना की बढ़त के बावजूद चीनी सेना ब्लैक टॉप और हेलमेट में अपनी मौजूदगी बनाए हुए हैं, ये दोनों जगहें LAC के पार चीनी सीमा के अंदर हैं. NDTV को कई सूत्रों ने बताया है कि चीनी सेना की दोनों जगहों पर पोजीशन पास की चोटियों और ग्राउंड पर मौजूद भारतीय जवानों के रेंज में हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो चीन के लिए अपनी पोजीशन को बहुत बढ़ाना और सप्लाई वगैरह करना उसके लिए बहुत मुश्किल होगा.

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