बिजलीकर्मियों का आंदोलन: चेतावनी के बाद भी उठाएंगे आवाज, रोजाना होगा विरोध

यूपी में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर विद्युत कर्मचारी मंगलवार को आवाज बुलंद हुए प्रदर्शन करेंगे। कर्मचारियों को पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने चेतावनी दी है।

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बिजलीकर्मियों का आंदोलन (Photo Social media)

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ। पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कल पहली सितम्बर से ध्यानाकर्षण आंदोलन शुरू करने का एलान किया है। इस आंदोलन में बिजली विभाग से सभी कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियंता और संविदा कर्मचारी शामिल होंगे।

पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का विरोध

यूपी में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर विद्युत कर्मचारी मंगलवार को आवाज बुलंद हुए प्रदर्शन करेंगे। वहीं कर्मचारियों के इस आंदोलन को लेकर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने चेतावनी दी है कि विरोध प्रदर्शन करने पर संघर्ष समिति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसमें आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत 01 साल की जेल, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत 01 साल की जेल जिसे 02 साल और बढ़ाया जा सकता है और पैंडेमिक एक्ट के तहत जुर्माना जैसा दंड दिया जाएगा।

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बिजलीकर्मियों का ध्यानाकर्षण आंदोलन कल से

इसपर संघर्ष समिति ने प्रबंधन पर पलटवार करते हुए कहा है कि विरोध प्रदर्शन के कारण प्रदेश में कहीं भी किसी भी कर्मचारी पर कोई दंडात्मक कार्रवाई की गई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी, जिसकी सारी जिम्मेदारी कार्पोरेशन प्रबंधन और चेयरमैन की होगी।

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पावर कार्पोरेशन ने दी कार्रवाई की चेतावनी

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि ध्यानाकर्षण आंदोलन के पहले चरण में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत सभी जिलों में पहली सितंबर से (02 सितंबर को छोड़कर) प्रत्येक कार्य दिवस में शाम 4:00 बजे से 5:00 बजे तक विरोध सभाएं कर बिजलीकर्मी निजीकरण वापस लेने के लिए प्रदेश सरकार का ध्यानाकर्षण करेंगे।

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बिजली कर्मी रोजाना करेंगे 4:00 बजे से विरोध सभाएं

इसके अलावा संघर्ष समिति के पदाधिकारी 09 सितंबर तक पूर्वांचल के सभी मंडलों में दौरा कर सभा और प्रेसवार्ता करेंगे। उन्होंने बताया कि 10 सितंबर को लखनऊ में संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी अगले कार्यक्रमों का एलान करेंगे।

पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति को भेजा धमकी भरा पत्र

इसके साथ ही दुबे ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाने और ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति पैदा करने का आरोप लगाते हुए बताया कि शांतिपूर्ण ध्यानाकर्षण कार्यक्रम को कुचलने के लिए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति को पत्र भेज कर धमकी दी है।

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आरोप- कार्पोरेशन प्रबंधन सरकार को गुमराह कर रहा

उन्होंने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन अपनी अक्षमता और विफलता छिपाने के लिए निजीकरण थोप रहा है और मुख्यमंत्री व सरकार को गुमराह कर रहा है। जबकि कोविड-19 महामारी के दौरान बिजली कर्मियों ने दिन रात परिश्रम कर जिस कुशलता से बिजली आपूर्ति बनाए रखी है उसकी सार्वजनिक तौर पर प्रशंसा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा कई बार कर चुके है।

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उन्होंने कहा कि बिजली कर्मी जनता की कठिनाइयों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है और इसीलिए ध्यानाकर्षण कार्यक्रम के दौरान बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बनाई रखी जाएगी। ध्यानाकर्षण कार्यक्रम मुख्यमंत्री व प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षण करने के लिए एक सांकेतिक कार्यक्रम है लेकिन पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति से बात करने के बजाय जिस प्रकार धमकी भरा पत्र भेजा है वह अलोकतांत्रिक तो है ही प्रबंधन की तानाशाही पूर्ण मानसिकता का परिचायक भी है।

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