
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव (Sharad Yadav) - फाइल फोटो
तो क्या जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव (Sharad Yadav) जो इन दिनों जो लोकतांत्रिक जनता दल के सर्वे सर्वा हैं, घर वापसी की ओर बढ़ रहे हैं? इन दिनों बिहार के राजनीतिक गलियारे में इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है. हालांकि नीतीश कुमार के जेडीयू की तरफ़ से आधिकारिक रूप से इस संबंध में कोई बयान नहीं आया है. लेकिन शरद यादव के नजदीकियों का कहना है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है.
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दरअसल सूत्रों की मानें तो शरद यादव जब अस्वस्थ थे तब नीतीश कुमार ने एक से अधिक बार फ़ोन पर बातचीत कर उनका हाल चाल जाना. लेकिन शरद समर्थकों को इस बात की ख़ुशी से ज़्यादा इस बात को लेकर मायूसी है कि इस दौरान तेजस्वी यादव या लालू यादव में से किसी ने उनका हाल चाल पूछने की ज़रूरत नहीं समझी.
लेकिन राजनीतिक जानकारों की बात मानें तो राजनीति में बिलकुल अलग थलग हो चुके शरद यादव को वापस जनता दल यूनाइटेड जाने में ही अपने समर्थकों और परिवार के लोगों के राजनीतिक भविष्य की बेहतरी दिख रही है क्योंकि उन्हें जिस प्रकार से सम्मान और अपने अनुभव के आधार पर राजनीतिक क़द की उम्मीद महागठबंधन में थी वैसा होता कुछ दिख नहीं रहा.
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लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद उन्हें इस बात का कोई कन्फ्यूजन भी नहीं रहा कि नीतीश कुमार की ज़मीन पर पकड़ अभी भी काफ़ी मजबूत है. नीतीश समर्थकों का मानना है कि शरदजी अगर वापस भी आते है तो नीतीश कुमार का क़द और मज़बूत होगा. उन्हें मालूम है कि शरद यादव अपने परिवार के किसी सदस्य को मधेपुरा से विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने की इच्छा रखते हैं और साथ साथ अर्जुन राय या रमई राम जैसे पुराने नेताओं के लिए टिकट की चाहत हो सकती है. लेकिन नीतीश को फ़िलहाल इन लोगों को फिर से राजनीतिक पुनर्वास कराने में दिक्कत नहीं हैं क्योंकि वो जब राजद के पुराने लोगों को पार्टी में शामिल करा सकते हैं तो इन लोगों की घर वापसी क्यों नहीं करा सकते.