बिहार : तेजस्वी यादव ने बाढ़ और कोरोना के बहाने CM नीतीश कुमार पर की सवालों की बौछार

तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) मीडिया के सामने आए और फिर एक बार बाढ़ (Bihar Flood) और कोरोना (Coronavirus) के बहाने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से कई सवाल पूछे.

बिहार : तेजस्वी यादव ने बाढ़ और कोरोना के बहाने CM नीतीश कुमार पर की सवालों की बौछार

तेजस्वी यादव बिहार के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

खास बातें

  • बिहार में इस साल होंगे विधानसभा चुनाव
  • तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री से पूछे सवाल
  • बिहार के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं तेजस्वी
पटना:

बिहार (Bihar Elections 2020) में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे आरोप-प्रत्यारोप का खेल तेज हो रहा है. शनिवार को अखबारों में होम क्वॉरंटीन की खबरों को गलत करार देते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) मीडिया के सामने आए और फिर एक बार बाढ़ (Bihar Flood) और कोरोना (Coronavirus) के बहाने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से कई सवाल पूछे. तेजस्वी ने कहा कि बिहार पिछले 15 वर्षों में तरक्की की जगह बर्बादी की ओर बढ़ता गया. आज भी बाढ़ जैसी विभीषिका अगर तबाही मचाती है तो उसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार हैं.

तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि अगर मानसून हर साल एक ही समय पर आता है तो आखिर सरकार क्यों नहीं तैयारी करती है. इसके बाद तेजस्वी ने आंकड़े जारी किए.

- बिहार बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है लेकिन यहां बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई का प्रति व्यक्ति खर्च 104.40 रुपये है जबकि राष्ट्रीय औसत 199.20 रुपये है.

- साल दर साल हजारों करोड़ रुपये नीतीश सरकार बाढ़ के नाम पर डकार जाती है लेकिन इसके नियंत्रण और रोकथाम पर अभी तक एक भी प्रभावी काम नहीं कर पाई है.

- अपने 15 वर्ष के शासन काल में नीतीश जी ने एक भी नए तटबंध, डैम या बैराज नहीं बनाए, जिससे की बाढ़ के खतरे और उसके कारण नुकसान को कम किया जा सके.

- नीतीश जी का एक अजीबोगरीब नुस्खा है, सभी समस्याओं को भगवान भरोसे छोड़ दो. धीरे-धीरे स्वयं कोई भी परेशानी चाहें वो बाढ़ हो या कोरोना हो, खत्म हो जाएगा.

तेजस्वी ने कहा, 'आज बिहार के 16 जिलों, 130 प्रखंडों के 1331 पंचायतों में 83.62 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं लेकिन नीतीश कुमार को उनकी चिंता नहीं है. खानापूर्ति के लिए मेरे द्वारा बार-बार मांग करने पर सिर्फ दो बार प्रभावित इलाकों का दौरा किया. मैं तो आम जनता को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने अपने स्तर से लोगों तक खाने का सामान पहुंचाया और राहत कार्य में अब भी लगे हुए हैं. लालू रसोई के माध्यम से हमारे पार्टी के कार्यकर्ता बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगातार लगे हुए हैं और खाने का प्रबंध कर रहें.'

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इसके बाद तेजस्वी ने कोरोना पर कहा कि अगर कोरोना महामारी के सन्दर्भ में बात करें तो 6 महीने बीतने के बाद भी बिहार सरकार गंभीर नहीं हुई है. बिहार संक्रमण के मामले में अब भी देश में आगे है. अगर सिर्फ अगस्त महीने की बात करें तो अभी तक 28 दिनों में 79,861 नए मरीज मिले हैं और 376 लोगों की मृत्यु हुई है. ये स्थिति तब है, जब पूरा प्रदेश पिछले 3 महीने से लगातार लॉकडाउन में है. उनके अनुसार, जांच की बात करें तो अब भी RT-PCR टेस्ट की संख्या 6 हजार के आसपास है. इस विधि से जांच करने में 50 फीसदी से अधिक लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है. वहीं रैपिड ऐंटिजेन टेस्ट किट से औसतन 3-5 फीसदी लोगों की जांच रिपोर्ट ही पॉजिटिव आ रही है. इसी कारण बिहार में जब 10 हजार जांच हो रहे थीं तो 2500-3000 लोग पॉजिटिव पाए जा रहे थे और 1 लाख जांच हो रही, तब भी उतने ही पॉजिटिव मरीज निकल रहे हैं.

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विपक्ष के नेता के अनुसार, नीतीश सरकार रिकवरी रेट को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है जबकि रिकवरी रेट कोविड-19 नियंत्रण का इंडिकेटर नहीं है. हमें संक्रमण के कर्व को फ्लैटन करना है. संक्रमण चेन को तोड़ना है, जिसके लिए सरकार अब भी गंभीर नहीं दिख रही. अगर कोरोना पर सरकार ने नियंत्रण पा लिया होता तो कम से कम एक जिला भी कोरोना मुक्त घोषित हो जाना चाहिए था, लेकिन आज भी संक्रमण के फैलाव की स्थिति जस की तस बनी हुई है. तेजस्वी ने कहा, 'कोरोना का सबसे बुरा असर गरीबों, मजदूरों पर पड़ा है. लगभग 40 लाख प्रवासी मजदूर बाहर से आए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देशित भी किया था कि इन लोगों के रोजगार की व्यवस्था कराई जाए. सरकार ने बड़े ताम-झाम से स्किल मैपिंग करने की बात कही थी. मैं सरकार से पूछना चाहूंगा कि कितने लोगों का पंजीयन किया गया और उनको रोजगार उपलब्ध कराने की अद्धतन स्थिति क्या है.'

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तेजस्वी ने आगे कहा, 'सरकार मनरेगा के कार्य दिवस सृजन करने को अगर रोजगार देना मानती है जिसमें सिर्फ निर्माण कार्य ही होते हैं तो फिर स्किल मैपिंग का क्या औचित्य रह गया. मनरेगा के अलावा क्या सरकार ने दूसरे क्षेत्रों में एक भी रोजगार के अवसर सृजित किए. आखिर आज भी सरकार द्वारा 1000 रुपये की आर्थिक सहायता राशि आधे से ज्यादा लोगों को क्यों नहीं मिल पाई. मैंने जून में सरकार से मांग की थी कि प्रतिदिन 100 रुपये भत्ते के रूप में कम से कम 100 दिनों का भत्ता जो 10,000 रुपये है, सभी बेरोजगार कामगारों को दें. सरकार बताए उसने इस दिशा में क्या काम किया है.'

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उन्होंने आगे कहा, नीतीश जी बताएं कि CM रिलीफ फंड में कितने पैसे मिले और उनका खर्च कहां किया गया. नीतीश जी बताएं कि कोरोना के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट से उबरने के लिए क्या रोडमैप है उनके पास. नीतीश जी ये बताएं कि केंद्र सरकार से कोरोना के लिए क्या कोई विशेष वित्तीय अनुदान मिला है.'

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