सिग्नल पर फूल बेचने वाला बना इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, अच्छी कंपनी में मिली नौकरी

मुंबई से सटे ठाणे के सिग्नल पर रहने वाले बच्चों के लिए कुछ साल पहले सिग्नल स्कूल शुरू किया गया था. इसकी शुरुआत ट्रैफिक सिग्नल और फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई. सड़कों पर रहने वाले मोहन काले ने यहां पढ़ाई की, इलेक्ट्रिकल इंजीनयर बने और अब अच्छी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं.

सिग्नल पर फूल बेचने वाला बना इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, अच्छी कंपनी में मिली नौकरी

मुंबई : फूल बेचने वाला बना इलेक्ट्रिकल इंजीनियर - सांकेतिक तस्वीर

मुंबई:

मुंबई से सटे ठाणे के सिग्नल पर रहने वाले बच्चों के लिए कुछ साल पहले सिग्नल स्कूल शुरू किया गया था. इसकी शुरुआत ट्रैफिक सिग्नल और फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई. सड़कों पर रहने वाले मोहन काले ने यहां पढ़ाई की, इलेक्ट्रिकल इंजीनयर बने और अब अच्छी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं.

ठाणे के तीन हाथ नाका सिग्नल पर 18 परिवार सड़कों पर रहते हैं. बच्चे सिग्नल पर फूल और दूसरे सामान बेचते हैं. पर करीब 5 साल पहले यहां सिग्नल स्कूल की शुरुआत की गई. बच्चों की पढ़ाई के साथ भोजन और रहन सहन का भी ख्याल रखा जा रहा है. इसका फायदा यह हुआ कि सिग्नल पर फूल बेचने वाले मोहन काले ने यहां से पढ़ाई शुरू की और अब वो इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर एक अच्छी कंपनी में 3 दिन पहले उनकी नौकरी लग गई है.

सिग्नल स्कूल में अब 48 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. सभी गरीब और सिग्नल पर रहते हैं. स्कूल में विज्ञान से लेकर रोबोट बनाने की पढ़ाई करवाई जा रही है. मोहन काले के नौकरी मिलने के बाद अब दूसरे लोग भी उत्साहित हैं. पर पहले इन्हें पढ़ाई के लिए बुलाना आसान नहीं था.

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सिग्नल स्कूल की प्रोजेक्ट मैनेजर आरती परब कहती हैं, 'शुरुआत में उनको और उनके परिवारवालों को समझाना बहुत मुश्किल था. मां बाप का कहना था कि हम 1 घंटे के लिए क्यों भेजें, उतने में भीख मांगकर या सामान बेचकर 250 रुपये कमा लेंगे. फिर धीरे-धीरे उनको समझाना पड़ा कि अगर अभी नहीं पढ़े तो कभी नहीं पढ़ सकेंगे.'

देशभर में इस तरह के लाखों बच्चे हैं जो केवल अपने गुज़ारे के लिए सड़कों पर भीख मांगने और सामान बेचने को मजबूर हैं. ज़रूरत है कि इस तरह के स्कूलों को दूसरी जगह भी शुरू किया जाए ताकि सड़कों पर रहने को मजबूर लोग भी आगे बढ़ सकें.