इस दिन है अनंत चतुर्दशी, चाहते हैं ऐश्वर्य में वृद्धि तो जानें इस धागा को बांधने की विधि

इस बार 1 सितंबर को अंनत चतुर्दशी है।अनंत भगवान की पूजा करने और व्रत रखने से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन संकटों से सबकी रक्षा करने वाला अनंतसूत्र बांधा जाता है, इससे सभी कष्टों का निवारण होता है।

Published by suman Published: August 29, 2020 | 8:08 am
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अनंत चतुर्दशी 2020( सोशल मीडिया फोटो)

जयपुर: अनंत चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को कहा जाता है। इसी चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की विदाई की जाती है। साथ ही इसी दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत भी रखा जाता है और इस दिन अनंत भगवान की पूजा की जाती है। भविष्य पुराण में इस व्रत की महिमा का वर्णन है।इस बार 1 सितंबर को ये तिथि पड़ रही है।

मान्यता है कि अनंत भगवान की पूजा करने और व्रत रखने से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन संकटों से सबकी रक्षा करने वाला अनंतसूत्र बांधा जाता है, इससे सभी कष्टों का निवारण होता है। ये 12घंटे, 24 घंटे और एक साल के लिए होता है।

 

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श्रीकृष्ण ने दिखाया मार्ग

कहा जाता है कि जब पाण्डव जुएं में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया और अनन्त सूत्र धारण किया। इस व्रत का इतना प्रभाव था कि पाण्डव सभी संकटों से मुक्त हो गए।

विधि

युधिष्ठिर के पूछने पर श्री कृष्ण ने कहा कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर फिर उसे कच्चे दूध में डुबोकर ओम् अनंताय नमः मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए धारण करना चाहिए।

 

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प्रतीकात्मक

 

ऐसे करें व्रत का पालन

*कलश की स्थापना कि जाती है जिसमे कमल का फूल रखते हैं और कुशा का सूत्र अर्पित किया जाता है।

*भगवान एवं कलश को कुमकुम, हल्दी का तिलक लगाया जाता है। कुशा सूत्र को हल्दी से रंगा जाता है।

*अनंत देव का आवाहन कर दूप दीप एवं नैवेद्य का भोग लगाया जाता है।

*इस दिन खीर पूरी का भोग लगाने कि परम्परा है। उसके पश्चात सभी के हाथों में रक्षा सूत्र बांधा जाता है।

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धागे का महत्व

इस  दिन कच्चे धागों से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। कच्चे सूत से बना यह धागा चमत्कारी होता है यदि इसे विधि विधान से बांधा जाए।

यह धागा पूरे साल पुरुषों की दाहिनी कलाई और महिलाओं की बायीं कलाई पर रहना चाहिए। यदि आप ऐसा करने में सफल हो जाता हैं तो जीवन की तमाम समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और घर धन धान्य से भरा रहता है।

 

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प्रतीकात्मक

धागा बांधने के बाद ना करें

अनंता बांधने के बाद आपको मांसाहार नहीं करना चाहिए। यदि किया तो अनर्थ हो सकता है। इसके अलावा अनंता का निरादर नहीं करना चाहिए कम से कम 14 दिन बांधने के बाद उसका किसी नदी में विसर्जन करना चाहिए। इसे साल पर बांधते हैं तो भगवान विष्णु की अनंत कृपा मिलती है।

निरादर करने पर पाप के भागी

कहते हैं कि कौडिण्य ऋषि ने इसका अनजाने में अपनी पत्नी के हाथ में इसे बंधा देखकर इसे जादू टोना समझा और तिरस्कार करते हुए इसे जला दिया था जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें भारी कष्ट भोगने पड़े। बाद में 14 साल तक अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने पर वह इस पाप से मुक्त हुए।