विधायक हत्याकांड में हाईकोर्ट ने बरकरार रखी पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह की उम्रकैद की सजा

झारखंड हाईकोर्ट ने मशरख के विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई दीनानाथ सिंह द्वारा निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा दी गयी उम्रकैद की सजा को शुक्रवार को बरकरार रखा

विधायक हत्याकांड में हाईकोर्ट ने बरकरार रखी पूर्व सांसद  प्रभुनाथ सिंह की उम्रकैद की सजा

विधायक हत्याकांड में प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.

नई दिल्ली :

झारखंड हाईकोर्ट ने मशरख के विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई दीनानाथ सिंह द्वारा निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा दी गयी उम्रकैद की सजा को शुक्रवार को बरकरार रखा. हालांकि न्यायालय ने संदेह के आधार पर प्रभुनाथ सिंह के भतीजे रितेश सिंह को इस मामले में बरी कर दिया है.

झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश अमिताभ कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति राजेश कुमार की खंड पीठ ने उस चर्चित मामले में अपना फैसला सुनाया जिसमें पूर्व बाहुबली सांसद एवं उनके भाई को बिहार के मशरख के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या का मुख्य षड्यंत्रकारी माना गया था.
 
न्यायालय ने अपने फैसले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. हालांकि हाईकोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह के भतीजे रितेश सिंह को राहत देते हुए उनके खिलाफ निचली अदालत द्वारा दिये गए फैसले को पलट दिया और इस मामले में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. 

प्रभुनाथ सिंह ,दीनानाथ सिंह और रीतेश सिंह तीनों को लगभग दो दशक पुराने मशरख के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में हजारीबाग की निचली अदालत ने दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. इसके साथ ही अदालत ने इन सभी पर 40- 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. 

हजारीबाग जिला अदालत के इस फैसले के खिलाफ तीनों ने उच्च न्यायालय में वर्ष 2017 में याचिका दायर की थी अपनी याचिका में प्रभुनाथ सिंह समेत तीनों अभियुक्तों ने उच्च न्यायालय में कहा था कि इस मामले में निचली अदालत ने कई त्रुटियां की हैं, उनके खिलाफ कोई भी प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला है. निचली अदालत ने सिर्फ परिस्थिति जन्य साक्ष्य के आधार पर उन्हें दोषी करार दिया है. 

याचिका पर लम्बी बहस के बाद न्यायमूर्ति अमिताभ गुप्ता और न्यायमूर्ति राजेश की खंड पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था. इस मामले में 21 अगस्त को ही फैसला आना था लेकिन तकनीकी कारणों से 21 अगस्त को फैसला नहीं सुनाया गया और आज न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया. 

गौरतलब है कि वर्ष 1995 में तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की उस समय बम फेंक कर हत्या कर दी गई थी जिस समय वह अपने सरकारी आवास पर लोगों से मिल रहे थे. इस मामले में उनकी पत्नी चांदनी देवी ने पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई. इसमें हत्या के पीछे की वजह राजनीतिक लड़ाई बताया गया क्योंकि प्रभुनाथ सिंह को ही हराकर अशोक सिंह विधायक बने थे. 

अशोक सिंह की पत्नी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके बिहार से बाहर मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि आरोपी प्रभावशाली हैं और गवाहों को धमकी भी मिल रही है. ऐसे में मामले की सुनवाई बिहार में सही तरीके से नहीं हो सकती.  इसके बाद न्यायालय ने इस मामले को हजारीबाग की अदालत में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था.  निचली अदालत ने इस मामले में 18 मई, 2017 को अपना फैसला सुनाते हुए प्रभुनाथ समेत तीनों अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. 
 

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(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a press release)