
एक ही पंडाल में गणेश चतुर्थी और मुहर्रम.
खास बातें
- कर्नाटक में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
- एक ही पंडाल में गणेश चतुर्थी और मुहर्रम
- कोरोना की वजह से प्रभावित हो रहे त्योहार
कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते इस बार सभी त्योहारों का रंग फीका रहा है. दक्षिण भारतीय राज्यों में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. कोरोना की वजह से इस बार यह पर्व भी प्रभावित हुआ है. पिछले कई वर्षों से गणेश चतुर्थी और मुहर्रम (Muharram) आसपास ही पड़ते हैं और कर्नाटक में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हुए दोनों समुदायों के लोग एक ही छत के नीचे साथ आते हैं.
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कर्नाटक (Karnataka) के धारवाड़ जिले स्थित हुबली के बिदनाल इलाके के लोग गणेश चतुर्थी और मुहर्रम एक साथ मनाते हैं. दोनों समुदायों के लोग एक ही पंडाल के नीचे हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हैं. पंडाल के एक ओर जहां गणपति महाराज विराजमान होते हैं तो वहीं दूसरी ओर मुस्लिम मुहर्रम की प्रथाओं को पूरा करते हैं.
The dates of Ganesh Chaturthi and Muharram coincide every 33-35 years. In this village nobody is a Hindu or a Muslim alone, both come together in unison. All of us are children of the God: Maulana Zakir Qazi https://t.co/uPobtBhhrRpic.twitter.com/7dBenwWU08
— ANI (@ANI) August 28, 2020
मौलाना जाकिर काजी कहते हैं, '33-35 साल से गणेश चतुर्थी और मुहर्रम लगभग समान तारीखों में पड़ते आ रहे हैं. इस गांव में कोई भी सिर्फ हिंदू या मुसलमान नहीं है. दोनों समुदाय एक साथ आते हैं. हम सभी भगवान की संतानें हैं.' मोहन कहते हैं, 'यह (दोनों समुदायों का साथ आना) पहले भी होता आया है. हम बस इस रीति को आगे ले जा रहे हैं.'
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