यूपी सरकार की सलाह, पेट के कीड़े मारने की दवा से कोरोना का इलाज!

लखनऊ के CMO की चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल, लिखा- आइवर मेक्टिन 12 MG की दवा कोरोना से बचने के लिए मददगार

यूपी सरकार की सलाह, पेट के कीड़े मारने की दवा से कोरोना का इलाज!

प्रतीकात्मक तस्वीर

खास बातें

  • हाल के दिनों में यूपी से लेकर दिल्ली तक में आइवर मेक्टिन की बिक्री बढ़ गई
  • पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होते ही दवा की मांग बढ़ी
  • रोज़ाना नई-नई रिसर्च के साथ मरीज़ों को देने वाली दवा भी बदल रही
नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. इसी के चलते दवा को लेकर कई राज्यों की अपनी-अपनी अलग-अलग राय है. अब पेट के कीड़े मारने की दवा से कोरोना संक्रमण को ठीक करने की सलाह यूपी सरकार (UP Government) ने दी. इसी के चलते आइवर मेक्टिन (Ivermectin) नाम की दवा सुर्खियां में है. हाल के दिनों में यूपी से लेकर दिल्ली तक में इसकी बिक्री बढ़ गई है. लखनऊ के CMO की 19 अगस्त की एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है. इसमें लिखा है कि आइवर मेक्टिन 12 MG की दवा कोरोना से बचने के लिए मददगार है. ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होते ही दवा की मांग यूपी से लेकर दिल्ली तक में बढ़ गई. 

दिल्ली के केमिस्ट प्रियांश ने बताया कि  ''यह अब तक कीड़े की दवा के तौर पर महीने में एक डिब्बा मुश्किल से बिक पाती थी, लेकिन अब दस पंद्रह दिनों में खासी बिक्री हो रही है.''

यह दवा दिल्ली में कम इस्तेमाल हो रही है. शहर के सबसे बड़े कोविड अस्पताल LNJP के MS सुनील कुमार बताते हैं कि रोज़ाना नई-नई रिसर्च के साथ मरीज़ों को देने वाली दवा भी बदल रही है. मसलन शुरुआत में बड़े पैमाने पर HCQ दी जा रही थी लेकिन चूंकि इसका ज़्यादा फ़ायदा नहीं दिखा इसलिए अब ये बहुत काफी दी जा रही है. हो सकता है इसीलिए यूपी सरकार ने अपनी रणनीति बदली हो. सुनील कुमार ने कहा कि दिल्ली में हमारे पास बेहतर विकल्प मौजूद हैं रेमडेसिवियर, प्लाज्मा थेरपी है, इसकी वजह से हम इस दवा का इस्तेमाल कम कर रहे हैं.

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वैसे तो पैरासाइट को खत्म करने के लिए आइवर मेक्टिन 12 MG की दो डोज़ के बीच सात दिन का अंतर होना चाहिए लेकिन अब यूपी सरकार की गाइड लाइन में पॉजिटिव मरीजों के लिए तीन दिन तक एक-एक गोली लेने की सलाह दी गई है. लेकिन दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के हेड अतुल कक्कड़ मानते हैं कि ये दवा वायरस का लोड शरीर से कम करती है. डा अतुल कक्कड़ ने कहा कि ''देखिए आस्ट्रेलिया में हुई रिसर्च में पता चला कि इस दवा को लेने से दो से तीन दिन के भीतर चालीस फीसदी वायरस लोड कम होता है. अब कई दवा को repurpose किया जा रहा है. इसको डेंगू में भी कुछ हद तक दिया जाता है. लेकिन अभी तक इसको लेकर AIIMS की गाइड लाइन नहीं है.''

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कोरोना संक्रमण की वैक्सीन ईजाद न होने से कभी गठिया रोग की दवा तो कभी कीड़े मारने की दवा को कोरोना मरीजों पर आज़माया जा रहा है. लेकिन कोई भी दवा डाक्टर की सलाह के बिना न लें. कोरोना रोग पर जैसे-जैसे रिसर्च हो रही है वैसे-वैसे दवाओं के इस्तेमाल की रणनीति भी बदली जा रही है. लेकिन कोरोना को रोकने का अब तक सबसे कारगर तरीका मास्क लगाना, हाथ को बार-बार धोना और सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करना ही है.