रेलवे में फर्जीवाड़ा! गार्ड ने परीक्षा रद्द कराने के लिए वायरल कर दिए 24 ऑडियो?

झाँसी रेल मंडल मुख्यालय में विभागीय गार्ड पदोन्नति परीक्षा में ऑडियो वायरल होने के मामले में अब नया मोड़ सामने आया है।

Published by Ashiki Patel Published: August 22, 2020 | 9:14 am
Modified: August 22, 2020 | 9:26 am
रेलवे में फर्जीवाड़ा! गार्ड ने परीक्षा रद्द कराने के लिए वायरल कर 24 ऑडियो?

रेलवे में फर्जीवाड़ा! गार्ड ने परीक्षा रद्द कराने के लिए वायरल कर 24 ऑडियो?

झाँसी: झाँसी रेल मंडल मुख्यालय में विभागीय गार्ड पदोन्नति परीक्षा में ऑडियो वायरल होने के मामले में अब नया मोड़ सामने आया है। पता चला है कि के अफसर व उसके दलालों ने सोची समझी रणनीति के तहत गार्ड परीक्षा रद्द कराने के उद्देश्य से एक नहीं 24 ऑडियो वायरल किए हैं। इस मामले में रेलवे बोर्ड और एनसीआर की विजिलेंस ने गंभीरता से लिया है। संभावना है कि सोमवार या मंगलवार तक उक्त मामले में जांच के आदेश हो सकते हैं। इसको लेकर विभाग के अफसरों में चर्चा शुरु हो गई है।

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मालूम हो कि झाँसी रेल मंडल में विभागीय गार्ड की पदोन्नति परीक्षा 23 फरवरी 2020 को मुख्यालय पर आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में रिक्तियों के सापेक्ष लगभग 150 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। 31 जुलाई को उक्त परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। इसमें 84 अभ्यर्थियां पास हो गए। इसके लिएचार सदस्यीय पैनल गठित किया गया था।

इसी पैनल में पेपर को लेकर अफसरों के मध्य मतभेद शुरु हो गए थे। क्योंकि एक अफसर ने मुख्यालय व रेलवे बोर्ड में बैठे अपने आंका से फोन पर वार्तालाप कर गार्ड परीक्षा रद्द करने का प्लान बना लिया था। क्योंकि एक अफसर ने कड़ी मेहनत से पेपर बनाया था मगर यह पेपर दलालों के चंगुल में फंस चुके अफसर को सहन नहीं हो रहा था क्योंकि पास होने का ठेका पहले ही ले लिया गया था। बाद में रिजल्ट घोषित होने के बाद रेलवे को बदनाम करने के लिए ऑडियो वायरल करवाए गए हैं ताकि पेपर बनाने वाले अफसरी की पोल खुल सके।

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आखिर कार्रवाई क्यों नही है?

दलाल व अभ्यर्थियों के बीच हुई लेनदेन का ऑडियो वायरल हो गया। ऑडियो में स्पष्ट रुप से गार्ड की विभागीय परीक्षा में तीन से पांच लाख रुपए लेकर प्रश्न पत्र उत्तर सहित देने का जिक्र तो है ही, साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि रुपये देकर गधे से गधे पास हो गए, जो पास नहीं हुए हैं, उन्हें रुपये वापस नहीं होंगे क्योंकि रुपए के एवज में प्रश्न पत्र व उत्तर देने का वायदा किया था यदि इसके बाद भी वह सही नहीं कर पाए तो उनकी जिम्मेदारी नहीं है। लेकिन अभी तक किसी अफसर ने उक्त मामले में जांच का जिम्मा नहीं लिया है।

सीट पर कब्जा करने का प्लान तो नहीं?

सूत्रों का कहना है कि वाणिज्य विभाग में एक टीम महत्वपूर्ण है। इस टीम पर एक अफसर की तैनाती हुई थी। बाद में उसे हटाकर दूसरे विभाग में भेज दिया मगर उक्त विभाग में वह जाने को तैयार नहीं था। उसने स्टेशन डायरेक्टर के पद पर भी जुगाड़ लगा ली थी मगर वहां भी फेल हो गया था। गार्ड परीक्षा भी इसी सीट का कारण हो सकता है। बाद में यह बात फैलाई जाए कि अगर वह सीट पर बैठा होता तो पेपर लीक नहीं हो सकता था। इस तरह की वाणिज्य विभाग में जमकर चर्चा चल रही है।

रिपोर्ट: बी.के. कुशवाहा

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