उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मॉनसून सत्र के पहले दिन दी दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन दिवंगत मंत्रियों, विधायकों, पूर्व विधायकों, शहीद जवानों और कोविड-19 महामारी से निपटते हुए जीवन बलिदान करने वाले कोरोना योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मॉनसून सत्र के पहले दिन दी दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि

उत्तर प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो).

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन बृहस्पतिवार को दिवंगत मंत्रियों, विधायकों, पूर्व विधायकों, शहीद जवानों और कोविड-19 महामारी से निपटते हुए जीवन बलिदान करने वाले कोरोना योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सदन की बैठक शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी. कोविड-19 के प्रोटोकॉल के कड़ाई से पालन के साथ सदन की बैठक सुबह 11 बजे शुरू होने पर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने नेता सदन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम पुकारा. योगी ने मंत्री रहीं कमल रानी वरूण एवं चेतन चौहान के निधन पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये और दु:खी परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की.

योगी ने विधायक वीरेन्द्र सिंह सिरोही और पारसनाथ यादव के निधन पर भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानमंडल के सदस्य रह चुके और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे लालजी टंडन के निधन पर भी शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये.

मुख्यमंत्री ने गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों और कोविड-19 महामारी के दौरान देश और प्रदेश की जनता की जान बचाने के दौरान बीमारी से मरने वाले कोरोना योद्धाओं को भी श्रद्धांजलि दी. इसके बाद सपा के शैलेन्द्र यादव, बसपा के लालजी वर्मा और कांग्रेस की आराधना मिश्रा सहित अन्य सभी दलों के नेताओं ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की.

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विधानसभा अध्यक्ष दीक्षित ने सदस्यों की संवेदनाओं से खुद को संबद्ध किया और अपनी ओर से दिवंगत मंत्रियों, विधायकों, पूर्व विधायकों, शहीद जवानों और जीवन का बलिदान देने वाले कोरोना योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद दिवंगत आत्माओं की मुक्ति, मोक्ष एवं शांति के लिए सदस्यों ने कुल मिनट का मौन रखा. फिर अध्यक्ष ने सदन की बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी.

मानसून सत्र के दौरान सदन की केवल तीन बैठकें होनी हैं. सदस्यों और विधानसभा कर्मियों ने मास्क पहन रखे थे और बैठने की व्यवस्था कुछ इस तरह की गयी थी कि एकदूसरे से दूरी के प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन हो. सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा था कि जिन विधायकों की आयु 60 वर्ष से अधिक है और महिला विधायक, जो सदन नहीं आ सकतीं या कोई विधायक अस्वस्थ है तो वह लिखित में या टेलीफोन करके इसकी जानकारी दे सकते हैं. ऐसे में उनकी अनुपस्थिति नहीं दर्ज की जाएगी.

दीक्षित ने सभी दलों के नेताओं से कहा था कि वे यह संदेश अपने विधायकों तक पहुंचा दें. विधानसभा में आने से पहले सभी की कोविड-19 जांच का इंतजाम किया गया था. सत्र शुरू होने से पहले 600 कर्मचारियों की कोरोना वायरस की जांच सोमवार को की गयी थी और इनमें से 20 कर्मचारी संक्रमित पाये गये थे. बैठक शुरू होने से पहले सदस्यों की थर्मल स्कैनिंग की गयी. दीक्षित ने कहा कि अगर कोई सदस्य मास्क नहीं पहने है तो हम उसे मास्क मुहैया कराएंगे.

उत्तर प्रदेश सरकार ने मीडियाकर्मियों के लिए परामर्श जारी करते हुए बुधवार को कहा था, ‘‘सत्र की कार्यवाही की कवरेज के लिए आने वाले पत्रकारों को अपनी कोविड-19 जांच करानी अनिवार्य है. उन्हें प्रेस गैलरी में नहीं बैठने दिया जाएगा लेकिन वे तिलक हॉल में बैठ सकते हैं, जहां से वे कार्यवाही का सीधा प्रसारण देख सकेंगे.''

अचानक विधानसभा पहुंचे संजय सिंह, राज्यपाल दीर्घा में बैठकर देखी कार्यवाही

कानून व्यवस्था तथा कई अन्य मुद्दों को लेकर इन दिनों उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमलावर आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह बृहस्पतिवार को अचानक राज्य विधानसभा पहुंचे. विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले दिन सिंह अचानक विधान भवन पहुंचे. गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने थर्मल स्कैनिंग करने के बाद उन्हें अंदर जाने दिया. बाद में सिंह विधानसभा की राज्यपाल दीर्घा में बैठकर सदन की कार्यवाही देखने लगे. इस बारे में जानकारी मिलने पर वहां हड़कंप मच गया.

सिंह ने बताया कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में ब्राह्मणों तथा अन्य जातियों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाते हुए एक जाति विशेष के लिए काम करने का आरोप लगाने पर उनके खिलाफ नौ मामले दर्ज किए हैं. वह विधानसभा के अंदर इसलिए गए थे कि अगर सरकार उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है तो कर ले. मगर सरकार ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी.

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आप की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रभारी संजय सिंह इन दिनों कानून व्यवस्था और कोरोना वायरस संकट को लेकर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर खासे हमलावर हैं. उन पर एक जाति विशेष के खिलाफ टिप्पणी कर वैमनस्य फैलाने के आरोप में राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में लगभग नौ मामले दर्ज किए जा चुके हैं. ऐसे में सिंह का अचानक विधानसभा पहुंचना खासा चर्चा का विषय बना हुआ है.

विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने इस बारे में पूछे जाने पर बताया कि विधानसभा की नियमावली में है कि कोई भी संसद सदस्य या केंद्रीय मंत्री विधानसभा की कार्यवाही देखने के लिए आ सकते हैं. अगर उनके खिलाफ कोई मसला है तो वह सचिवालय सुरक्षा प्रशासन से संबंधित मामला है लेकिन अगर वह परिसर में एक बार आ गए तो नियमावली के प्रावधान लागू होते हैं. हम उन्हें नहीं रोक सकते.

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उन्होंने कहा कि सांसद और केंद्रीय मंत्री राज्यपाल दीर्घा से ही बैठ कर कार्यवाही देखते हैं, लिहाजा यह कोई मुद्दा नहीं है और इसे तूल नहीं दिया जाना चाहिए. कई मामले दर्ज होने के बावजूद संजय सिंह को विधानसभा के अंदर कैसे जाने दिया गया, इस सवाल पर विधानसभा के मुख्य सुरक्षा अधिकारी मनीष चंद्र रॉय ने कहा कि वह इस बारे में कुछ भी बताने के लिए अधिकृत नहीं हैं. 

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