
छात्रों के भविष्य को ध्यान में रख कर अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने का फैसला लिया गया: निशंक
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक' (Union Minister Of Education Ramesh Pokhriyal 'Nishank') ने सोमवार को कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं (Final Year Exams) आयोजित कराने का फैसला छात्रों के भविष्य को ध्यान में रख कर लिया है. उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘‘छात्रों के भविष्य को ध्यान में रख कर यह फैसला लिया गया. यह इसलिए किया गया कि छात्रों को भविष्य में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन, ऑफलाइन या इन दोनों के मिश्रित माध्यम से परीक्षा संचालित कराने का विकल्प दिया गया है.'' मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति वैश्विक स्तर पर एक नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत की स्थिति मजबूत करेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘हमें 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ा कर 50 प्रतिशत करना होगा, यह एक बड़ा लक्ष्य है, जिसका मतलब है 3.5 करोड़ और छात्रों का नामांकन करना है.'' उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 राष्ट्र निर्माण की बुनियाद है. मैं आपसे यह योजना बनाने का अनुरोध करता हूं कि शोध को कैसे बेहतर किया जा सकता है. हमने हमेशा ही विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता देने का समर्थन किया है. हम इस बात पर गौर कर रहे हैं कि 45,000 डिग्री कॉलेजों को कैसे बेहतर बनाया जाए और उन्हें स्वायत्तता दी जाए. अभी सिर्फ 8,000 ऐसे कॉलेज हैं जिन्हें स्वायत्तता प्राप्त है, लेकिन चरणबद्ध तरीके से इसे बढ़ाया जाएगा.''
उल्लेखनीय है कि छह जुलाई को यूजीसी ने परीक्षा से संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष, अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा सितंबर के अंत तक ऑनलाइन, ऑफलाइन या इन इन दोनों के मिले-जुले रूप में संचालित कराने को कहा था. हालांकि, उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर कर दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई और अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने की मांग की गई है.
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