
NSCN (IM) के नेता थुइंगलेंग मुइवा ने कहा कि नागाओं का भारत में विलय नहीं होगा
प्रधानमंत्री कार्यालय ने नगा शांति वार्ता में विद्रोही समूहों और केंद्र के वार्ताकार के बीच गतिरोध पर चिंता व्यक्त की है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने गुप्तचर ब्यूरो (Intelligence Bureau) के निदेशक अरविंद कुमार (Arvind Kumar) से स्पष्ट रूप से कहा है कि नगा शांति वार्ता को फिर से शुरु किया जाए. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "पिछले छह वर्षों में, आरएन रवि, वार्ताकार के रूप में अपने स्तर से नगा समूहों से बात कर रहे थे. हालांकि, पिछले 10 या 11 महीनों से, चीजें ठीक नहीं चल रही हैं,"
अधिकारी के अनुसार पीएमओ ने अरविंद कुमार और आईबी के विशेष निदेशक अक्षय कुमार मिश्रा को काम सौंपा गया है. जिन्होंने अग्निशमन जिम्मेदारियों के साथ एक दशक से अधिक समय तक एजेंसी के नॉर्थ ईस्ट डेस्क को संभाला है. दिलचस्प बात यह है कि आईबी ने अपने नॉर्थ ईस्ट डिवीजन में हाल में कई बदलाव भी किए हैं. अब 1999 बैच के अधिकारी मनदीप टुल्ली दिल्ली में नोर्थ ईस्ट डेस्क का काम देखेंगे. वह पहले मणिपुर के इंफाल में तैनात थे. साथ ही नागालैंड को 1996-बैच की अधिकारी रितु मिश्रा के रूप में नई स्टेट हेड मिली है.
नगाओं के लिए अलग झंडा, संविधान नहीं; बंदूकों के साये में बातचीत नहीं हो सकती: रवि
माना जाता है कि केंद्र विशेष रूप से नागालैंड में उभरते हुए तीन-तरफ़ा समस्या से परेशान है - विद्रोही समूहों में सबसे बड़े एनएससीएन (आईएम) और आरएन रवि तथा राष्ट्रीय नगा राजनीतिक समूह (एनएनपीजी) के बीच समस्या यह है कि रवि ने नागालैंड में निर्वाचित सरकार पर निशाना साधा है जो भाजपा गठबंधन की सहयोगी भी है .रवि ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था: "नागालैंड एक बेहतरीन मानव और प्राकृतिक संसाधन से संपन्न क्षेत्र है. दुर्भाग्य से, आज यह उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सहित देश में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य बन गया है. मानव विकास के लगभग सभी महत्वपूर्ण क्षेत्र में पिछड़ गया है ”.
इस बीच, विपक्षी दलों ने 2015 में नगा समूहों के साथ हुए बातचीत के रूपरेखा को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है. एक अधिकारी ने बताया, "केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय सीमाओं को बदलने के बिना नगाओं के लिए नई सांस्कृतिक पहचान का वादा किया था. लेकिन, जनजातियों के बीच भी कई तनाव हैं, अब तक कुछ खास कदम नहीं उठाया गया है."
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने नगा समस्या के समाधान के लिये केन्द्र और एनएससीएन (आईएम) के बीच चल रही वार्ता के 'कठिन दौर'' में पहुंचने पर चिंता जाहिर करते हुए सोमवार को कहा कि अविश्वास को किनारे रखकर जल्द से जल्द शांति समझौता अंजाम तक पहुंच जाना चाहिये.
हालांकि, केंद्र ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने घोषणा की, "सरकार को धमकी नहीं दी जा सकती है". पिछले 11 महीनों में आरएन रवि और विभिन्न नगा समूहों के बीच गतिरोध व्यापक होता दिख रहा है.एक अधिकारी ने कहा, "पिछले साल अक्टूबर में एक आम सहमति बनाई जानी थी, लेकिन यह नहीं पहुंची. केंद्र ने जवाबी कार्रवाई की और एनएससीएन (आईएम) के कार्यकर्ताओं और नेताओं पर कार्रवाई शुरू कर दी. केंद्र की यह कार्रवाई नगा नेताओं को परेशान करता है,"
सरकार के साथ शांति समझौते की प्रक्रिया को अंजाम दे रहे संगठन एनएससीएन-आईएम ने शुक्रवार को कहा था कि सात दशकों पुराने हिंसक आंदोलन का सम्मानजनक समाधान बिना झंडे और संविधान के मुमकिन नहीं है.
संगठन के महासचिव टी मुइवाह ने कहा था कि नगाओं का अपना झंडा और संविधान है और उन्हें यह सरकार से नहीं चाहिए. एनएससीएन-आईएम के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुइवाह ने कहा, “आप मान्यता दें या न दें, हमारे पास अपना झंडा और संविधान है. झंडा और संविधान हमारी संप्रभुता की निशानी है और नगा राष्ट्रीयता का प्रतीक है. नगाओं को अपना झंडा और संविधान रखना ही चाहिए.” मुइवाह ने दावा किया कि नगालैंड के राज्यपाल और बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले आर एन रवि ने 31 अक्टूबर 2019 को कहा था, “हम आपके झंडे और संविधान का सम्मान करते हैं. हम यह नहीं कहते कि भारत सरकार उन्हें खारिज करती है, लेकिन हमें इन पर जल्दी फैसला लेना होगा.” मुइवाह ने संगठन के पक्ष को दोहराते हुए कहा कि झंडे और संविधान के बिना उग्रवाद की समस्या का सम्मानजनक समाधान नहीं निकलेगा.