
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की फ़ाइल फोटो
नई दिल्ली: लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। राहुल ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि देश के हर नागरिक को भारतीय सेना की क्षमता पर भरोसा है, केवल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर।
राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा है, ‘हर कोई भारतीय सेना की क्षमता और वीरता में विश्वास करता है, पीएम को छोड़कर, जिनकी कायरता ने चीन को हमारी जमीन लेने की अनुमति दी। जिनके झूठ से यह सुनिश्चित होगा कि वे इसे बनाए रखेंगे।’
राहुल यही नहीं रुके बल्कि आगे अपनी बात पूरी करते हुए कहा- भारत सरकार लद्दाख मामले में चीनी इरादों का सामना करने से डर रही है। राहुल ने कहा कि देश की सेना पर हर एक भारतीय को भरोसा है लेकिन प्रधानमंत्री को नहीं है।

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Everybody believes in the capability and valour of the Indian army.
Except the PM:
Whose cowardice allowed China to take our land.
Whose lies will ensure they keep it.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 16, 2020
सोनिया गांधी ने EIA मसौदे पर बोला हमला
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार की ओर से लाए गए पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) मसौदे को लेकर हमला बोला है।
उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में छपे अपने लेख में सरकार पर इस मुद्दे को लेकर कई सवाल खड़े किये हैं। सोनिया गांधी ने यह भी कहा है कि बतौर गुजरात के मुख्य मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पीएम मोदी का रिकॉर्ड पर्यावरण को लेकर कभी भी अच्छा नहीं रहा है।
इस सरकार का रिकॉर्ड पिछले 6 साल में ऐसा रहा है, जिसमें पर्यावरण की रक्षा करने को लेकर कोई विचार नहीं है।
हमारा देश मौजूदा समय में दुनिया में पर्यावरण के मामले में काफी पीछे है। कोरोना महामारी के कारण सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत थी। लेकिन इसकी अनदेखी हो रही है।

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प्रकृति की रक्षा करना अहम: सोनिया गांधी
हम लोगों की ओर से प्रकृति की रक्षा करना अहम है। पीएम मोदी को इस मसौदे पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जब आप प्रकृति की रक्षा करेंगे तभी प्रकृति भी आपकी रक्षा करती है। हाल ही में दुनिया में फैली कोरोना वायरस महामारी भी हमें नई सीख दे रही है। ऐसे में हमारा यही फर्ज है कि हम प्रकृति की रक्षा करें।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने कहा कि नई पर्यावरण नीति का कोई भी विरोध नहीं कर रहा है। सरकार को इसे लाने से पहले इसके लिए वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए थी।
चाहे कोयला खदानों का मामला हो या फिर ईआईए, सरकार की ओर से किसी की भी राय नहीं ली जा रही है। देश ने विकास की रेस में आगे बढ़ने के लिए पर्यावरण की बलि दी है। लेकिन इसकी भी एक सीमा तय होनी चाहिए।
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