
राजस्थान विधानसभा में गहलोत सरकार को बीजेपी की चुनौती.
क्या है विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव का खेल
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार बीजेपी की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर सकती है. यानी कि अशोक गहलोत को अब सदन में यह साबित करना पड़ सकता है कि उनके पास सरकार चलाने के लिए विधायकों का बहुमत है. अविश्वास प्रस्ताव हमेशा विपक्ष की ओर से लाया जाता है. केंद्र में लोकसभा और राज्यों में विधानसभा में यह प्रस्ताव लाया जाता है.
कोई भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव तब लाता है, जब वो यह संदेश देना चाहता है कि सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है और उसे लगता है कि सत्तारूढ़ पार्टी के पास सरकार चलाने के लिए बहुमत नहीं है.
यह अविश्वास प्रस्ताव पहले सदन में पेश किया जाता है. फिर इसे स्पीकर की ओर से मंजूरी दी जाती है, जिसके बाद इसपर चर्चा होती है. चर्चा के बाद वोटिंग होती है, जिसके लिए सत्ता और विपक्ष दोनों की ओर से अपने सदस्यों के लिए व्हिप जारी किया जाता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोटिंग हो सके.
वोटिंग में सरकार बचाने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी को बहुमत के आंकड़े से ज्यादा वोटों की जरूरत होती है. यानी कि राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं. बहुमत का आंकड़ा 100 है. गहलोत को विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिराने के लिए 101 वोटों की जरूरत है.
अगर वोटिंग में विपक्ष के प्रस्ताव को सत्तारूढ़ पार्टी से ज्यादा वोट मिलते हैं, तो सरकार गिर जाती है. बीजेपी के पास 72 सीटों के अलावा तीन अन्य विधायकों का समर्थन है. ऐसे में उसके पास अविश्वास प्रस्ताव जीतने का कोई रास्ता फिलहाल तो नहीं दिख रहा.
विश्वास प्रस्ताव सरकार की ओर से पेश किया जाता है. सरकार इस प्रस्ताव के जरिए दावा करती है कि उसके पास बहुमत है और अपने सभी विधायकों से वोटिंग कराकर विश्वास प्रस्ताव जीत लेती है और सत्ता में बनी रहती है.