फाइनल ईयर की परीक्षाओं के मामले में सुनवाई SC में 18 अगस्त तक टली

Final Year Exams 2020: अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 18 अगस्त  तक के लिए टल गई है.

फाइनल ईयर की परीक्षाओं के मामले में सुनवाई SC में 18 अगस्त तक टली

Final Year Exams 2020: अंतिम परीक्षाओं पर अगली सुनवाई 18 अगस्त तक टल गई है.

नई दिल्ली:

Final Year Exams 2020:  सितंबर के अंत तक देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर की परीक्षाएं (Final Year Exams) आयोजित कराने वाले यूजीसी (UGC) के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर से सुनवाई हुई. परीक्षा देने वाले छात्र उम्मीद कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से परीक्षाओं को लेकर आज कोई अहम घोषणा की जा सकती है. लेकिन यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की फाइनल ईयर की परीक्षाओं (Final Year Exams) को लेकर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 18 अगस्त तक के लिए टल गई है. सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई पूरी नहीं हो पाई.

याचिकाओं के जवाब में यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दाखिल किया है. दिल्ली सरकार और महाराष्ट्र सरकार द्वारा अपने अपने राज्य की यूनिवर्सिटी में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने के फ़ैसले का यूजीसी ने विरोध किया है. यूजीसी ने कहा कि वे एक स्वतंत्र संस्था है, विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेदारी यूजीसी की है न कि किसी राज्य सरकार की. यूजीसी ने अपने हलफनामे में फिर दोहराया है कि वह सितंबर तक परीक्षाओं के आयोजन के हक़ में हैं, जो कि छात्रों के भविष्य के हित के मद्देनज़र सही है. बता दें कि सितंबर के अंत तक देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर परीक्षा (Final Year Exams) करवाने वाले यूजीसी (UGC) के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई है. 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी दाखिल किया सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा 
गृह मंत्रालय ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है. MHA ने कहा है कि उसने बड़ी संख्या में छात्रों के "शैक्षणिक हित" को ध्यान में रखते हुए 6 जुलाई 2020 को अधिसूचना  जारी करके विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी है. यह कहा गया है कि निर्णय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किए गए अनुरोधों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10 (2) (1) के तहत जारी किए गए निर्देशों के अनुसार यह फैसला लिया गया है.

सोमवार को हुई पिछली सुनवाई में यूजीसी ने कोरोना के चलते महाराष्ट्र और दिल्ली सरकारों द्वारा राज्यों की यूनिवर्सिटीज में परीक्षा न कराने के फैसले पर सवाल उठाया था. UGC ने दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश पर जवाब दाखिल करने की बात कही थी, जिसमें राज्य में परीक्षा न कराने की बात कही गई थी. UGC की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा था कि परीक्षा आयोजित की जाएंगी या नहीं, यह फैसला UGC ही कर सकता है, क्योंकि सिर्फ UGC ही डिग्री प्रदान कर सकता है. सुनवाई के दौरान यूजीसी ने यह भी कहा कि बिना परीक्षा के मिली डिग्री को मान्यता नहीं दी जा सकती है. 

वहीं, दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि परीक्षा के आयोजन को लेकर यूजीसी का स्टैंड कोरोना से बचाव पर गृह मंत्रालय की गाइडलाइन से बिल्कुल अलग है. दिल्ली सरकार ने  कोरोना संकट के चलते अपने सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को न करवाने का फ़ैसला लिया है. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि दिल्ली राज्य के विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर सहित हर वर्ष के छात्रों की ऑनलाइन और ऑफ़लाइन परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं.

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वहीं, यूजीसी ने देशभर के विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का निर्देश दिया था, जिसका 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विरोध किया है, छात्रों की दलील है कि कोरोना संकट काल में हर जगह हर छात्र के लिए परीक्षाओं में शामिल हो पाना संभव नहीं है. 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट (SC) में अपना जवाब दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि फ़ाइनल ईयर की परिक्षाएं (Final Year Exams) 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का मक़सद छात्रों का भविष्य संभालना है, ताकि छात्रों के अगले साल की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए. इसके साथ ही यूजीसी ने कहा था कि किसी को भी इस धारणा में नहीं रहना चाहिए कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए परीक्षाएं कैंसिल कर दी जाएंगी. छात्रों को अपनी पढ़ाई की तैयारी जारी रखनी चाहिए.