दरभंगा में बाढ़: शहर के लोग वाहनों की जगह नाव खरीद रहे, सरकार नहीं ले रही सुध

दरभंगा शहरवासियों के लिए अब नाव ही सहारा बन रही, कई स्थानों पर कमर तक बाढ़ का पानी भरा, पीने के पानी की किल्लत

दरभंगा में बाढ़:  शहर के लोग वाहनों की जगह नाव खरीद रहे, सरकार नहीं ले रही सुध

दरभंगा में जगदीश सहनी नाव बना रहे हैं.

दरभंगा:

बिहार के दरभंगा (Darbhanga) नगर निगम क्षेत्र में कई इलाकों में नाव चलती दिखेगी. नाव अब शहरवासियों का सहारा बनी है. बाढ़ ने दरभंगा शहर की सूरत बदल दी है. शहर की सड़कों पर बाइक कार की जगह नाव चल रही हैं. लोग गाड़ी खरीदने के बजाय नाव बनवा रहे हैं. नगर निगम के करीब एक दर्ज़न से अधिक वार्डों में बाढ़ का पानी फैला है. बाढ़ के पानी से दरभंगा शहर के वार्ड नंबर 23 बाजितपुर मोहल्ले की हालत ऐसी है कि जिन सड़कों पर गाड़ियां फर्राटे भरा करती थी उसी सड़क पर अब नाव चल रही है. सड़क पर कमर भर से ज्यादा पानी भरा है. घर-द्वार, गली मोहल्ले सब बाढ़ के पानी में डूबे हैं. ऐसे में लोगों को नाव का ही एक सहारा है. रोजमर्रा के जरूरत की चीज़ों के लिए नाव के सहारे आवागमन हो रहा है. 

बाजीतपुर मोहल्ले में तक़रीबन दर्ज़न भर निजी नाव चल रही हैं फिर भी लोगों को नाव की कमी खल रही है. ऐसे में लोग जान जोखिम में डालकर बाढ़ का पानी पार कर रहे हैं. हालत का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के लोग बाइक, कार के बदले नाव खरीद रहे हैं या नई नाव का निर्माण करवा रहे हैं. 

लोगों की मानें तो सरकार की तरफ से यहां कोई नाव नहीं दी गई है. बाढ़ पीड़ितों की कोई सुध लेने भी नहीं पहुंचा है. 
मोहल्ले के रहने वाले मोहम्मद कमरे आलम ने कहा कि बाढ़ के समय मोहल्ले में पीने के पानी की समस्या सबसे बड़ी है. सभी चापाकल डूब  गए हैं. अगर निजी नाव नहीं रहे तो लोग मर जाएं. सरकार को बाढ़ का कुछ हल निकालना चाहिए. यहां प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है लेकिन अब तक कोई ऊंची जगह नहीं बनाई गई जिससे शहर के लोग उस स्थान पर रह सकें. बस बाढ़ के नाम पर रुपये की लूट मची है.

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निजी नाव बनवा रहे मोहल्ले के जगदीश सहनी ने कहा कि पिछले दस से पन्द्रह दिनों से बाढ़ के पानी में हम लोग फंसे हैं. सरकार की तरफ से जो नाव दी गई है वह काफी नहीं है. लोग ज्यादा हैं. ऐसे में नाव की कमी के कारण जरूरत से ज्यादा लोग नाव पर सवार हो जाते हैं जो खतरनाक है. नाव की कमी के कारण ही वे अपने खर्च पर निजी नाव का निर्माण करा रहे हैं. एक नाव का खर्च तक़रीबन सत्तर से अस्सी हजार रुपये आता है.