पिछड़ रहा भारत: कोरोना का बढ़ता जाल, टेस्ट में हम बहुत पीछे

भारत की स्थिति कंट्रोल से बाहर है और यहाँ 15,35,335 मामले आ चुके हैं जिनमें से 34,252 की मौत हो चुकी है. भारत के लिए अच्छी बात यही है कि 9,89,878 मरीज ठीक हो चुके हैं. लेकिन चिंता की बात है कि 5,11,205 अब भी एक्टिव केस हैं

नील मणि लाल

लखनऊ. विश्व में कोरोना संक्रमण का जाल बढ़ता ही जा रहा है. अब तक करीब 1 करोड़ 70 लाख लाग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और 6 लाख 63 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं. 44,98,343 मामलों और 1,52,341 मौतों के साथ अमेरिका टॉप पर है जबकि 24,84,649 केसों और 88,634 मौतों के साथ ब्राज़ील दूसरे स्थान पर है. भारत की स्थिति कंट्रोल से बाहर है और यहाँ 15,35,335 मामले आ चुके हैं जिनमें से 34,252 की मौत हो चुकी है. भारत के लिए अच्छी बात यही है कि 9,89,878 मरीज ठीक हो चुके हैं. लेकिन चिंता की बात है कि 5,11,205 अब भी एक्टिव केस हैं. ब्लूमबर्ग कोरोना वायरस ट्रैकर के मुताबिक पिछले सप्ताह के मुकाबले इसमें 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। राज्य सरकारों के मिले डेटा के अनुसार, महज पिछले 12 दिनों में देश में कोरोना के 5 लाख मामले सामने आए हैं।

टेस्ट में भारत बहुत पीछे

कोरोना जांच की बात करें तो भारत इस मामले में बहुत पीछे है. जहाँ अमेरिका में अब तक कुल 5,58,30,453 जांचें हो चुकीं हैं वहीं भारत में मात्र 1,77,43,740 जांचें ही हुईं हैं. प्रति दस लाख जनसँख्या में अमेरिका में जहाँ 1,68,595 टेस्ट हुए हैं वहीं भारत में सिर्फ 12,848 टेस्ट हुए हैं. ब्राजील भी भारत से बहुत आगे है जहाँ प्रति 10 लाख लोगों में 59,251 टेस्ट हुए हैं. अमेरिका की आबादी 33 करोड़, ब्राजील की 21 करोड़ और भारत की 138 करोड़ है. कोरोना का टेस्ट करने वाले देशों की सूची में भारत 130वें नंबर पर है. भारत की तरह 12 हजार के आसपास टेस्ट करने वाले देशों में फिलिपीन्स, जमैका, घाना, मौरीटानिया आदि शामिल हैं लें इन देशों की आबादी भारत से बहुत कम है.

बढ़ा लॉकडाउन

बेकाबू कोरोना के कारण बिहार में 16 अगस्त तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है जबकि बंगाल में 31 अगस्त तक के लिए लॉक डाउन कर दिया गया है. राज्य में अब 9 दिन पूर्ण बंदी रहेगी. बंगाल में जांच बढ़ने के साथ ही पॉजीटिव मरीजों की बढ़ती दर ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. इसके साथ कोरोना मुक्त होने वाले मरीजों का दोबारा संक्रमित होना भी गंभीर चिंता का विषय बन गया है. राज्य में मरीजों की बढ़ती तादाद के मुकाबले अस्पतालों में बेड की कमी हो गई है. संक्रमितों और स्वस्थ होने वालों के आंकड़ों में अंतर बढ़ने की वजह से ज्यादातर अस्पतालों में कोई बिस्तर खाली नहीं है.

मुंबई में 16% लोग संक्रमित

दिल्ली की तर्ज पर मुंबई में भी सेरोलॉजिकल सर्वेक्षण करवाने के बाद पता चला है कि शहर में लगभग 19 लाख लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना है. शहर की झुग्गी बस्तियों में ये आंकड़ा 57 प्रतिशत तक पहुंच गया. यह सर्वेक्षण ग्रेटर मुंबई नगरपालिका, नीति आयोग और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने साथ मिल कर जुलाई की शुरुआत में 12 से 14 दिनों तक करवाया था. इसके पहले इस तरह का सर्वेक्षण दिल्ली में कराया गया था, जिसमें पाया गया था कि राष्ट्रीय राजधानी में 23.48 प्रतिशत लोगों के संक्रमित होने की संभावना है, यानी दिल्ली की लगभग दो करोड़ आबादी में से करीब 45 लाख लोग.

यह सर्वेक्षण यह जानने के लिए भी कराए जा रहे हैं कि देश झुंड इम्युनिटी से कितना दूर है. माना जा रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित पाए जाने का मतलब है कि देश धीरे-धीरे झुंड इम्युनिटी की तरफ बढ़ रहा है. लेकिन खुद वैज्ञानिकों में भी अभी इस बात पर सहमति नहीं है कि झुंड इम्युनिटी कितने मामलों के बाद हासिल होगी. अभी इस बात की भी पुष्टि नहीं हुई है कि झुंड इम्युनिटी कारगार होगी या नहीं.

मनमानी कर रही दिल्ली सरकार

दिल्ली में कोरोना वायरस से लड़ने की रणनीति के जिस पहलू को लेकर जानकार चिंता जता रहे थे अब उसी मुद्दे को दिल्ली हाई कोर्ट ने रेखांकित किया है. अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि शहर की लैबों में जितने आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की क्षमता है उससे कहीं कम टेस्ट क्यों हो रहे हैं?

अदालत ने यह भी जानना चाहा है कि दिल्ली सरकार की आरटी-पीसीआर टेस्ट की जगह रैपिड टेस्ट पर निर्भरता क्यों बढ़ गई है? दिल्ली हाई कोर्ट में इन दिनों दिल्ली में होने वाले टेस्ट की संख्या बढ़ाने और लैबों और अस्पतालों से टेस्ट के नतीजे और जल्दी निकलवाने के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान सामने आया कि दिल्ली में कोविड-19 की जांच के लिए अधिकृत 54 निजी और सरकारी लैब हैं, जिनमें रोज 11,000 आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की क्षमता है, लेकिन असल में इनमें प्रतिदिन सिर्फ 6,000 या उस से भी कम टेस्ट हो रहे हैं.

वहीं, दिल्ली में आरटी-पीसीआर टेस्ट से ढाई गुना से भी ज्यादा रैपिड टेस्ट हो रहे हैं. 15 जुलाई से 23 जुलाई के बीच, शहर में जहां सिर्फ 47,276 आरटी-पीसीआर टेस्ट हुए, वहीं रैपिड टेस्ट की संख्या 1,21,950 रही. अदालत ने कहा, “आरटी-पीसीआर टेस्ट की सिर्फ 50 प्रतिशत क्षमता का इस्तेमाल हो रहा है, जिसका मतलब है कि सारा ध्यान रैपिड टेस्ट करने पर है, जबकि आरटी-पीसीआर सबसे भरोसेमंद टेस्ट होता है.”

सिगरेट पीने वाले सावधान

कोरोना के बारे में रोज नई नई जानकारियाँ सामने आ रही हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि धूम्रपान करने वालों में कोरोना के गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं. ऐसे मरीजों में मौत की आशंका सबसे ज्यादा होती है.

टीके की अच्छी खबर

कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर एक बार फिर से बड़ी उम्मीद जगी है। अमेरिका की बायोटेक मॉडर्ना फार्मा की वैक्‍सीन बंदरों पर हुए ट्रायल में पूरी तरह से कारगर साबित हुई है। वैक्सीन ने बंदरों पर हुए ट्रायल में एक मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स विकसित किया है। साथ ही यह कोविड-19 वैक्‍सीन बंदरों की नाक और फेफड़ों में कोरोना वायरस को अपनी कॉपी बनाने से रोकने में भी सफल रही। इस कंपनी की वैक्सीन अभी रेस में आगे चल रही है और एक रिपोर्ट के अनुसार मॉडर्ना अपनी वैक्सीन के एक कोर्स के लिए 3700 से 4500 रुपये तक की कीमत तय की योजना बना रही है.

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