
ज़ीनत ने प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज (PUC) परीक्षा में 94% अंक हासिल किए
कर्नाटक के शमशुद्दीन अधोनी (Shamshuddin Adhoni) जब अपनी तीनों बेटियों की उपलब्धियों पर बात करते हैं तो उनके चेहरे की चमक देखते ही बनती है. उन्हें पूरा यकीन हैं कि तीनों ही ग्रेजुएट बनकर परिवार का नाम रोशन करेंगी. हालांकि शमशुद्दीन का खास ध्यान अभी सबसे बड़ी बेटी ज़ीनत बानू (Zeenat Banu) पर है, पढ़ाई में बेहद तेज ज़ीनत ने प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज (PUC) परीक्षा में 94% अंक हासिल किए है, उसने फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्सू और बायोलॉजी में अच्छा प्रदर्शन किया. जीनत इस सप्ताह के अंत में कर्नाटक में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में शामिल होगी.उसका सपना डॉक्टर बनने का है और वह NEET परीक्षा में भी शामिल होना चाहती है.

जीनत बानू का सपना डॉक्टर बनने का है
हालांकि कोरोना वायरस महामारी के चलते यह एकेडमिक सेशन स्टूडेंट्स के लिए अलग की चुनौतियां लेकर सामने आया है. कोरोना के कारण ट्रेनिंग, कोचिंग और एजुकेशन सब कुछ ऑनलाइन मोड में है, ऐसे में स्मार्ट फोन परिवार सबसे अहम जरूरत बन गया है. बेटी के उज्जवल एकेडमिक करियर की खातिर शमशुद्दीन स्मार्टफोन पाने में मदद की आस लगाए हैं. शमशुद्दीन की बात करें तो वह उत्तर कर्नाटक के गडग में धुलाई की कारों का काम करता है और महीनेभर में बमुश्किल 6,000 रुपये कमा पाता है. बेटियों को पढ़ाने के लिए उसने अपने रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए हैं और ज़ीनत और उसकी छोटी बहनों, हमेरा और शगुफ्ता की शिक्षा के लिए अपनी पत्नी के सोने के गहने तक बेच दिए हैं. उसका कहना है कि स्मार्टफोन बेटी की ऑनलाइन क्लासेज के लिए मददगार होगा लेकिन यह उसके परिवार के बजट से बाहर है.
इस टीचर ने पेश की मिसाल, कोरोना संक्रमित होने पर भी ऑनलाइन ले रहे हैं क्लास
शमसुद्दीन ही क्या, कोरोना महामारी के चलते ऑनलाइन क्लास ही संचालित होने के कारण कई छात्रों और परिवारों को भी इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोनावायरस महामारी को काबू करने के लिए सरकार ने मार्च माह से देशभर में लॉकडाउन लागू किया था. हालांकि लॉकडाउन को तो चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है लेकिन स्कूल-कॉलेज अभी भी बंद रखे गए हैं, ऐसे में देशभर के अधिकांश स्कूलों और कॉलेजों में कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जा रही हैं.