
नई दिल्ली: बकरीद को ईद उल अजहा भी कहा जाता है। रमजान महीना खत्म होने के करीब 70 दिन बाद यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन अल्लाह के नाम कुर्बानी देने की परंपरा है। बकरीद पर मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी देते हैं। ईद के त्योहार की तारीख चांद के दीदार के साथ तय की जाती है। सऊदी अरब द्वारा घोषित तारीख के अनुसार, दुनिया भर में 31 जुलाई को बकरीद ईद मनाई जाएगी।
बकरियों पर 3,000 रुपये के जुर्माने
वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना में 15 बकरियों को पौधा खाने (चरने) के जुर्म में हिरासत में लिया गया है और हर बकरी पर 3000 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। ये पढ़कर आप थोड़ा हैरान हो सकते हैं लेकिन ये पूरी तरह सच है। दरअसल तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में अधिकारियों ने पौधे खा लेने के जुर्म में 15 बकरियों को बंदी बना लिया। हिरासत में ली गई बकरियों पर 3,000 रुपये के जुर्माने के साथ ही उन्हें थप्पड़ भी मारा गया।
बकरियां पौधों को नुकसान पहुंचा थीं
बता दें कि भद्रादि कोठागुडेम जिले के येल्लैंडू में पौधा रोपण अभियान के तहत लगाए गए पौधों को 15 बकरियों ने खा लिया जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था। गुरुवार को, येल्लैंडू में नगरपालिका के कर्मचारियों ने देखा कि कुछ बकरियां पौधों को नुकसान पहुंचा रही है। अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 9 बकरियों को गुरुवार को पकड़ लिया और 6 को शुक्रवार को हिरासत में ले लिया।
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बकरियों के मालिक को नोटिस जारी
सभी 15 बकरियों को अब नगर पालिका कार्यालय में रखा गया है। कर्मचारी उन्हें खाना खिला रहे हैं। बकरियों के मालिक को नोटिस जारी किया गया है, लेकिन कोई भी अब तक बकरियों को लेने नहीं आया है।
क्यों मनाई जाती है बकरीद?
हालाँकि भारत में ईद चांद के दर्शन के बाद 1 अगस्त को मनाए जाने की उम्मीद है। क्यों मनाई जाती है बकरीद इस्लाम धर्म की मान्यताओं अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम से ही कुर्बानी देने की परंपरा शुरू हुई थी।
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अल्लाह ने सपने में इब्राहिम से कुर्बानी मांग ली
कहा जाता है कि इब्राहिम अलैय सलाम को कई मन्नतों बाद एक औलाद की प्राप्त हुई जिसका नाम उन्होंने इस्माइल रखा था। इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल से बेहद प्यार करते थे। लेकिन एक रात अल्लाह ने सपने में इब्राहिम से उसकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांग ली। इब्राहिम ने अपने सभी प्यारे जानवरों की एक-एक कर कुर्बानी दे दी। लेकिन इसके बाद अल्लाह एक बार फिर से उसके सपने में आए और फिर उससे सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने के लिए कहा। लिहाजा इब्राहिम इस्माइल यानी अपने बेटे से सबसे अधिक बेहद प्यार करते थे।
इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली
अल्लाह के आदेश पर वह अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गये। बेटे की कुर्बानी देने के समय इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। अपने बेटे की कुर्बानी देने के बाद जब इब्राहिम ने अपने आंखों से पट्टी हटाई तो उन्होंने देखा कि उनका बेटा तो जीवित है। जिसे देखकर वो बेहद ही खुश हुआ। अल्लाह ने इब्राहिम की निष्ठा देख उसके बेटे की जगह बकरा रख दिया था यानी कि अल्लाह ने उसके बेटे की जगह एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। कहा जाता है कि तब से ही यह परंपरा चली आ रही है कि बकरीद पर बकरे की कुर्बानी दी जाए।
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बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है
इसलिए ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है। ऐसे मनाया जाता है यह त्योहार: बकरीद पर मुस्लिम समुदाय के लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ते हैं। नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस खास मौके पर लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को ईद की मुबारकबाद देते हैं।
भाईचारे और शांति का संदेश दिया जाता है
एक-दुसरे से गले मिलकर भाईचारे और शांति का संदेश दिया जाता है। ईद की नमाज में लोग अपनों की सलामती की दुआ करते हैं। बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। जिसके एक हिस्से को खुद के लिए, दूसरा हिस्सा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरे हिस्से को गरीब लोगों में बांटे जाने का चलन है।”