पायलट का क्या होगा! बागी विधायकों की याचिका पर हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला

राजस्थान का सियासी संकट थमने का नाम नहीं ले रहा , बल्कि लगातार गहराता जा रहा है। अब  राजनीति हलचल विधानसभा से निकलकर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। इस मामले में अब अदालतों में याचिका लगाने का दौर तेज हो गया है।

Published by suman Published: July 24, 2020 | 9:22 am

जयपुर: राजस्थान का सियासी संकट थमने का नाम नहीं ले रहा , बल्कि लगातार गहराता जा रहा है। अब  राजनीति हलचल विधानसभा से निकलकर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। इस मामले में अब अदालतों में याचिका लगाने का दौर तेज हो गया है। नोटिस याचिका के मामले में हाईकोर्ट से इतर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष के बाद अब पायलट गुट ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में अलग-अलग अर्जी पेश की है।

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 आज आएगा फैसला

सचिन पायलट गुट ने स्पीकर की ओर से जारी अयोग्यता नोटिस मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। इसमें कहा गया कि उनकी याचिका में संविधान की दसवीं अनुसूची के प्रावधानों को चुनौती दी गई है, ऐसे में इस मामले में  केन्द्र सरकार को भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए। बता दें कि हाईकोर्ट ने मंगलवार को सचिन पायलट गुट की याचिका पर सभी पक्षकारों की बहस पूरी होने के बाद 24 जुलाई को फैसला दिया जाना तय किया है।

सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों की याचिका पर आज राजस्थान हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। पिछली सुनवाई में अदालत ने राजस्थान विधानसभा स्पीकर को बागियों पर किसी तरह का एक्शन लेने से रोक लगा दी थी। जिसके बाद स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, अब हाईकोर्ट पर हर किसी की नजर  हैं।

 

सचिन पायलट और उनके साथियों ने स्पीकर का नोटिस मिलने के बाद अदालत का रुख किया था। विधायक दल की बैठक में शामिल ना होने पर कांग्रेस ने स्पीकर से शिकायत की, फिर स्पीकर ने नोटिस दिया।इस मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित किया, साथ ही स्पीकर को कोई एक्शन ना लेने को कहा। अब इसी पर आज सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाया जाएगा।  इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है इससे पहले पायलट खेमे की ओर से दायर की गई नोटिस याचिका में राज्य सरकार के मुख्य सचेतक ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर उनको पक्षकार बनाने का आग्रह किया था।

 

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बता दें कि  पायलट गुट का दावा है कि वो पार्टी में रहकर ही अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और पार्टी की मीटिंग पर व्हिप लागू नहीं होता है। वो सिर्फ विधानसभा के सदन के लिए होता है।जबकि गहलोत गुट का कहना है कि बागियों ने पार्टी के नियमों का उल्लंघन किया, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश की जो दिखाता है कि पार्टी के साथ रहने की उनकी मंशा नहीं है।

 

एक तरफ हर किसी की नजरें हाईकोर्ट के फैसले पर हैं, तो दूसरी ओर अशोक गहलोत की सरकार जल्द ही विधानसभा सत्र बुलाने पर विचार कर रही है। और फिर सब साफ हो जाएगा कि किसके पक्ष में कितने विधायक है। और सरकार की अवधि कितनी है।