
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कामकाज संभाल लिया है.
कोरोना वायरस (Coronavirus) को हराकर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) ने कामकाज संभाल लिया है. इस मौके पर उन्होंने एनडीटीवी से खास बातचीत में अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल से आने के बाद भी अभी 4 दिन पहले तक रोज़ाना ऑक्सीजन लगानी पड़ रही थी. पिछले 4 दिन से ऑक्सीजन नहीं लगाई है जिसके बाद उन्होंने काम संभाल लिया. बीमारी को लेकर उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस की पुष्टि होने से दो दिन पहले तेज़ बुखार हुआ था. सत्येंद्र जैन ने कहा, 'एक पल्स ऑक्सीमीटर का मैंने भी इंतजाम कर लिया था. मुझे लगता है कि पल्स ऑक्सीमीटर ही मुझे बचाने में काम आया. मुझे बहुत तेज सर दर्द था और सांस बहुत तेजी से फूल रही थी तो रात के लगभग 12:00 बजे थे और मैंने पल्स ऑक्सीमीटर से चेक किया तो मेरा ऑक्सीजन लेवल 90 था. समय पर चेक करने और जागरूकता की वजह से मैं हॉस्पिटल में जाकर एडमिट हो गया.'
सत्येंद्र जैन ने दी ये सलाह
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दी ये सलाह दी है कि इस बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए जरूरी है कि सकारात्मक सोचें. दिन में एक या दो बार जरूर आते अगर असली में हंसी ना आए तो झूठ मुठ में हंस लें. सबसे ज्यादा आप की इम्युनिटी बढ़ाने वाला और कम करने वाला आपका दिमाग है. खुश होने पर इम्युनिटी बढ़ती है और दुखी होने पर इम्युनिटी घटती है. उन्होंने बताया कि प्राणायाम करने से बहुत फायदा हुआ. जैन ने कहा, 'जब मैं ठीक हो कर घर आया तब भी मुझे ऑक्सीजन की समस्या हो रही थी तो डॉक्टर ने मुझे कहा कि आप प्राणायाम कीजिए उससे मुझे बहुत फायदा हुआ'. इसके अलावा उन्होंने सलाह दी कि पानी खूब पिएं. शिकंजी, नारियल पानी और जूस ले सकते हैं. आयुष का काढ़ा दिन में तीन से चार बार ले सकते हैं. हल्दी, अदरक, तुलसी के पत्ते ले और चाय की तरह उबाल लीजिए और दिन में तीन बार पीजिए. किसी तरह की दहशत में ना आएं.
निजी अस्पताल में क्यों भर्ती हुए
इसके साथ ही जब उनसे सवाल पूछा गया कि वो दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को वर्ल्ड क्लास बता रहे हैं जबकि खुद अपना इलाज आपने प्राइवेट अस्पताल में करा रहे थे. तो उन्होंने कहा, 'मैं आज भी कहूंगा कि हमारी अस्पताल बहुत अच्छे हैं. कोई भी एडमिट होना चाहे वह राजीव गांधी अस्पताल में एडमिट हो सकते हैं वह प्राइवेट से भी अच्छा है. जब रात को 12:30 बजे मेरी तबीयत खराब हुई तो मैं भी राजीव गांधी हॉस्पिटल में जाकर एडमिट हुआ था. बहुत बढ़िया अस्पताल है. लेकिन जब मेरी कंडीशन सीरियस हुई तो डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि मुझे प्लाज्मा देने की जरूरत है और उस दिन तक राजीव गांधी हॉस्पिटल को प्लाज्मा देने की इजाजत नहीं मिली थी.
उन्होंने बताया, 'LNJP को भी नहीं मिली थी. पुरानी परमिशन खत्म हो गई थी और नई नहीं मिली थी. मेरा कहना था 1 से 2 दिन इंतजार कर लेते हैं लेकिन डॉक्टरों का कहना था कि यह कोई गारंटी नहीं है कि 1 या 2 दिन में हमारे अस्पतालों को प्लाज्मा देने की इजाजत मिल जाएगी. आखिरकार हमारे अस्पताल को 10 दिन बाद इजाजत मिली और मुझे शिफ़्ट करने से 1 दिन पहले ही मेरे ससुर की डेथ हुई थी. मेरा फैसला था कि मैं यहीं रहूंगा लेकिन जब डॉक्टरों ने कहा कि प्लाज्मा देना पड़ेगा तो मेरी फैमिली डर गई'.
अभी दिल्ली का क्या हालत हैं?
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अगर कल का डाटा देखें तो दिल्ली का डबलिंग रेट 100 दिन से भी ऊपर है. लेकिन आगे के लिए अभी हम कुछ नहीं कर सकते हैं. RT-PCR टेस्ट कम हो रहे हैं और रैपिड एंटीजन टेस्ट ज्यादा हो रहे हैं. रैपिड एंटीजन टेस्ट का नतीजा आधे घंटे में आ जाता है. RT-PCR टेस्ट का नतीजा 24-48 घंटे में आता है. अगर हम सबको आरटी पीसीआर टेस्ट कराएंगे तो तब तक सबको इंतजार करना पड़ेगा. जैन ने कहा, 'आपको उदाहरण बताता हूं कि अगर हम 100 लोगों का रैपिड एंटीजन टेस्ट करते हैं तो अगर 10 पॉजिटिव हैं तो 8 तो पकड़ में आ ही जायेंगे. इसके बाद अगर 10 लोग और लक्षण वाले दिखते हैं तो उनका हम आरटी-पीसीआर भी करवाते है यह एक फूल प्रूफ सिस्टम है एक बेहतर सिस्टम है इस टेस्ट में जो पॉजिटिव आएगा वह तो कंफर्म है और अगर नेगेटिव आएगा और हल्का सा भी उसको लक्षण है तो उसका आरटी-पीसीआर भी करवाते हैं.
उन्होंने कहा कि डाटा में यह दिखाई दे रहा है कि जब आरटी पीसीआर टेस्ट कर रहे हैं तो पॉजिटिविटी रेट करीब 30 फ़ीसदी के आसपास जा रहा है और जब रैपिड एंटीजन टेस्ट कर रहे हैं तो करीब 6 फ़ीसदी के आसपास आ रहा है। इससे यह शक हो रहा है कि कहीं फॉल्स नेगेटिव तो यह नहीं है. जो 30% कि आप बात कर रहे हैं वह एक महीना पहले की बात है. हम आज की बात करेंगे तो आज रैपिड एंटी जैन का पॉजिटिविटी रेट 4% है और RT-PCR का 8-9% है. बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. पॉजिटिविटी रेट इसलिए भी ज्यादा दिखता है क्योंकि आरटी-पीसीआर वही कराता है जिसको लक्षण होते हैं. एंटीजन के अंदर यह होता है कि डॉक्टर हैं, नर्स स्टाफ है इनका हम जल्दी से कर लेते हैं या फिर कंटेनमेंट जोन में होता है. यह बल्क में होता है और जिनको लक्षण होते हैं और वह नेगेटिव आए होते हैं उनका दोबारा से आरटी पीसीआर टेस्ट होता है. जिसको ज्यादा लक्षण है वह सीधा आरटी पीसीआर टेस्ट करवाता है. लेकिन कंटेनमेंट जोन, डॉक्टर, स्टाफ के ऊपर हम पहले रैपिड एंटीजन टेस्ट करते हैं. और उसमें से जितने भी सिंप्टोमेटिक हैं और नेगेटिव आए हैं उनका दोबारा से करते हैं.