स्मार्टफोन न सही, पेड़ की छाया तो है! कोरोना के दौर में कर्नाटक के गांव में बच्चों को पढ़ाने की नई पहल

कर्नाटक के नीलखेड़ा गांव में छायादार पेड़ के नीचे लगती है पाठशाला, स्कूल के हेडमास्टर सिधारामप्पा बिरादर ने उठाया बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा

बेंगलुरु:

कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण और ऑनलाइन क्लास (Online Classes) के दौर में कर्नाटक (Karnataka) के एक गांव में एक स्कूल हैडमास्टर ने नई पहल की है. सरकारी स्कूल के गांव के बच्चों के लिए उन्होंने खुली जगह पर पाठशाला लगा दी. पेड़ के नीचे लगने वाली इस शाला के पीछे कारण यह है कि गांव के बच्चों के पास ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेज के लिए न तो स्मार्टफोन है और न ही सरकारी स्कूल में ऑनलाइन क्लास संचालित करने की कोई व्यवस्था की गई है. गांव के छायादार पेड़ों के नीचे चल रही कक्षाओं की काफी चर्चा हो रही है.

कर्नाटक के नीलखेड़ा गांव में छायादारपेड़ के नीचे पाठशालालगती है. इस सरकारी स्कूल के बच्चों को कोविड संक्रमण के समय में इस तरह पढ़ाने का बीड़ा स्कूल के हेडमास्टर सिधारामप्पा बिरादर ने उठाया है. 

सिधारामप्पा बिरादर कहते हैं कि ''मैंने पाया कि स्कूल के छात्र दिनभर धमाचौकड़ी मचा रहे हैं, कोई रोकटोक नहीं है. वे अपने माता-पिता के साथ खेतो में काम पर भी जा रहे थे. तब हमने सोचा कि इनके लिए कुछ करना चाहिए.''

बिरादर को गांव के लोगों का समर्थन मिला और पेड़ के नीचे पाठशाला चल पड़ी. सिर्फ पेड़ के नीचे ही नहीं, गांव की गलियों के साथ-साथ साफ सुथरी और दूसरी सुरक्षित जगहों पर भी अब क्लास लगाई जा रही हैं. जो बच्चों को पढ़ाने के इच्छुक हैं वे भी हेडमास्टर साहब को सहयोग दे रहे हैं.

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एक महिला अभिभावक अम्बिकारी का कहना है कि ''हमारे बच्चे भी खुश हैं. वे पिछली पढ़ाई भूल गए थे. क्लास शुरू होने से काफी मदद मिल रही है.''

जहां चाह, वहां राह.. अगर इरादा कुछ अच्छा करने का हो तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं. यह एक बार फिर हेड मास्टर सिधारामप्पा ने साबित किया है.