
सचिन पायलट ने कॉल पर सिंघवी से कोर्ट में अपना केस लड़ने को कहा था. (फाइल फोटो)
Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में राजस्थान कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले के खिलाफ डाली गई याचिका पर सुनवाई में कांग्रेस का पक्ष अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) रख रहे हैं. लेकिन सिंघवी ने गुरुवार को बताया कि कोर्ट में जाने से पहले सचिन पायलट ने उनसे संपर्क किया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता सिंघवी ने NDTV से बातचीत में पायलट को 'प्रिय मित्र' और 'बहुत ही अहम सहयोगी' बताते हुए कहा कि सचिन पायलट ने उन्हें दो दिन पहले कॉल किया था. सिंघवी ने कहा, 'मैंने हंसते हुए उनसे कहा कि सम्मानजनक तरीका यही होगा कि मैं उनको बता दूं कि मैं उनसे बात नहीं कर सकता क्योंकि मैं मामले में दूसरे पक्ष को सलाह दे रहा हूं और फिर हम इस बात पर खूब हंसे और फिर बात वहीं खत्म हो गई.'
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सिंघवी ने कहा, 'तो इसलिए उन्होंने मुझे इसी भाव के साथ कॉल किया था. आखिरकार, हम एक-दूसरे को काफी वक्त से जानते हैं और उन्हें मेरी सलाह चाहिए थी क्योंकि वो इसकी कद्र करते हैं. लेकिन मैं मामले में स्पीकर का पक्ष रखा रहा हूं, जो उनके खिलाफ हैं.'
सिंघवी कांग्रेस के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने पायलट खेमे को अपना रुख थोड़ा नरम करने की सलाह दी है. उन्होंने इसके पहले ट्वीट किया था, 'हर चीज़ का वक्त और जगह होती है. गहलोत और पायलट अनुभवी नेता हैं और उन्हें वो दृढ़ता और परिपक्वता दिखानी चाहिए जिसके लिए वो जाने जाते हैं. ऐसी परेशानियां थोड़े वक्त की होनी चाहिए और हल लंबे वक्त तक प्रभाव डालने वाला होना चाहिए.'
बता दें कि कांग्रेस की शिकायत पर राजस्थान में पायलट सहित बागी विधायकों को विधायक दल की बैठक में शामिल न होने के चलते स्पीकर की ओर से विधानसभा में अयोग्य ठहराने का नोटिस भेजा गया था. इस नोटिस के खिलाफ पायलट खेमा गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचा था. इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर कहा गया है कि इस नोटिस को वापस लिया जाए. वहीं, इसमें संविधान की 10वीं अनुसूची को भी चुनौती दी गई है, जिसमें Anti-Defection Law है, यानी जिसके तहत विधायकों को अयोग्य घोषित करने का नोटिस भेजा गया है.
फिलहाल कोर्ट में पायलट को सिंघवी नहीं पेश कर रहे है. लेकिन बीजेपी के सरकार में देश के टॉप वकीलों में शामिल हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी उनका पक्ष रख रहे हैं. रोहतगी एडवोकेट जनरल रह चुके हैं, वहीं साल्वे ने भारत को कुछ अंतरराष्ट्रीय मामलों की सुनवाई में पेश किया है.
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