
कालाबाजारी को देखते हुए राज्य सरकार ने इन दवाओं की खरीद के लिए नियम कड़े कर दिए हैं. (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र में कोरोनोवायरस रोगियों के लिए निर्धारित प्रमुख दवाओं की कमी और 50 हजार रुपये से अधिक की काला बाजारी की शिकायतों के बीच, राज्य सरकार ने इन दवाओं की खरीद के लिए नियम कड़े कर दिए हैं. अधिकारियों ने कहा कि लोगों को अब अपना आधार कार्ड, COVID-19 परीक्षण प्रमाण पत्र, डॉक्टर के पर्चे और फोन नंबर दिखाने पर दी दवा मिलेगी. राज्य में दवा की दुकानों और आपूर्तिकर्ताओं में लंबी कतारें देखी गई हैं, जहां कोविड-19 मामलों की संख्या 2.38 लाख बताई है जो कि देश में सबसे ज्यादा है. लोगों की शिकायत है कि ड्रग्स रेमेडिसविर और टोसिलिज़ुमब हर जगह आउट ऑफ स्टॉक है. खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री, राजेंद्र शिंगने ने कहा, "हमारे पास पर्याप्त आपूर्ति में दवाएं हैं लेकिन दवाओं की मांग बढ़ गई है. हमें शिकायतें मिली हैं कि ये दवाएं काले बाजार में बेची जा रही हैं. हम कालाबाजारियों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं."
उन्होंने आगे कहा, "केवल डॉक्टर के पर्चे, आधार कार्ड और एक फोन नंबर के साथ COVID-19 पॉजिटिव रोगियों को दवाएं मिल सकती हैं. घबराने की जरूरत नहीं है. अगर कोई भी इन दवाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क ले रहा है, तो कृपया सरकारी हेल्पलाइन से संपर्क करें, हम एक्शन लेंगे."
एंटी वायरल दवा, रेमेडिसविर (Remdesivir) जिसे अस्पतालों में इंजेक्शन द्वारा रोगी के शरीर में डाला जाता है, यह दवा परीक्षण में सुधार दिखाने के लिए प्राथमिक उपचार है और पिछले महीने गंभीर COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए भारत में "प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग" के लिए मंजूरी दे दी गई थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, फार्मास्युटिकल कंपनी सिप्ला ने रेमेडिसविर के अपने वर्जन सिप्रेम ( Cipremi) की प्रति 100 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 5,000 रुपये से कम रखी है, जबकि हेटेरो ने इसकी दवा कोविफोर (Covifor) की कीमत 5,400 रुपये रखी है. वहीं मायलान (Mylan) के डेसम (Desrem) की कीमत 4,800 प्रति 100 mg शीशी रखी है.
कोरोनोवायरस के मामले बढ़ने के साथ, भारत की कई बड़ी स्वास्थ्य सेवा कंपनियां जो दुनिया की बहुत सी दवाएँ बनाती हैं, उनसे दवा के प्रतिस्पर्धी संस्करण लॉन्च करने की उम्मीद की जाती है. हालांकि, इस हफ्ते की शुरुआत में, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने रेमेडिसविर की ब्लैक मार्केटिंग और मुनाफाखोरी पर चिंता जताई और सभी राज्यों को "सख्त सतर्कता" रखने और अधिकतम खुदरा मूल्य से ऊपर दवा की बिक्री को रोकने के लिए कहा है.