
कानपुर: उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। सपा-बसपा और कांग्रेस ने विकास दुबे के एनकाउंटर की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। सवाल उठे कि जब उसकी गिरफ्तारी हो गयी थी, और उसने उज्जैन में खुद ही सरेंडर किया था तो फिर पुलिस कस्टडी से क्यों भागने की कोशिश करेगा। विकास के एनकाउंटर को लेकर एक दिन पहले ही कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर दी गयी थी। अब इस मामले में की जांच शुरू हुई है। विकास दुबे के एनकाउंटर केस की जांच गोविंदनगर थाने के इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा करेंगे।
विकास दुबे एनकाउंटर की जांच की मांग:
2 जुलाई की रात आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद फरार विकास दुबे को 9 जुलाई को उज्जैन से गिरफ्तार किया गया। कानपुर लाये जाने के दौरान भागने की कोशिश के दौरान पुलिस ने उसपर गोली चला दी और उसकी मौत हो गयी। विकास के एनकाउंटर को लेकर कांग्रेस ने न्यायिक जांच की मांग की।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि अपराधी का तो अंत हो गया लेकिन संरक्षण देने वालों का खुलासा कैसे होगा? जांच सुप्रीम कोर्ट के जज से करवानी चाहिए।
उप्र की कानून-व्यवस्था बदतर हो चुकी है। राजनेता-अपराधी गठजोड़ प्रदेश पर हावी है। कानपुर कांड में इस गठजोड़ की सांठगांठ खुलकर सामने आई।
कौन-कौन लोग इस तरह के अपराधी की परवरिश में शामिल हैं- ये सच सामने आना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज से पूरे कांड की न्यायिक जाँच होनी चाहिए pic.twitter.com/vRHQlsaJ3y
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 10, 2020
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सपा ने एनकाउंटर पर उठाए सवाल
वहीं समाजवादी पार्टी ने भी एनकाउंटर की जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि विकास दुबे की पिछले 5 सालों की मोबाइल CDR लिस्ट सार्वजनिक की जाए।
दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 10, 2020
मामले की जांच करेंगे गोविंदनगर थाने के इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा
वहीं सरकार ने कानपुर मुठभेड़ की जांच की जिम्मेदारी गोविंदनगर थाने के इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा को दी है। इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा को विकास दुबे एनकाउंटर की जांच में विवेचक बनाया गया है।
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एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका की जांच, बेगुनाही करनी होगी साबित
वहीं एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि पुलिसवालों पर हत्या का मुकदमा चलेगा और मामले की जांच होगी। पुलिस को कोर्ट में ये साबित करना होगा कि अगर वो फायरिंग नहीं करते तो फिर उनकी भी जान जा सकती थी।
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