महाराष्ट्र : छोटे कारोबारियों को आत्मनिर्भर बनाने वालीं क्रेडिट सोसायटियों को मदद की दरकार

लॉकडाउन की वजह से ठेले , खोमचे, पान वाले और छोटे दुकानदारों को पूंजी मुहैया कराने वालीं कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटियों की अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही

महाराष्ट्र : छोटे कारोबारियों को आत्मनिर्भर बनाने वालीं क्रेडिट सोसायटियों को मदद की दरकार

प्रतीकात्मक फोटो.

मुंबई:

Coronavirus Lockdown: महाराष्ट्र में लॉकडाउन का बुरा असर क्रेडिट सोसायटियों पर पड़ा है. छोटे कारोबारियों को आत्मनिर्भर बनाने वालीं क्रेडिट सोसायटियों का कारोबार ठप हो गया है. महाराष्ट्र राज्य सहकारी पत पेढ़ी फेडरेशन ने एनपीए के नियम में शिथिलता बरतने की मांग की है. मुंबई में 1400 और महाराष्ट्र में 24000 क्रेडिट सोसायटियां हैं.

कोरोना का असर मुंबई और महाराष्ट्र की कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटियों पर भी पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से ठेले , खोमचे, पानवाले और छोटे दुकानदारों को पूंजी मुहैया कराने वालीं कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटियों की अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है. लिहाज़ा महाराष्ट्र राज्य सहकारी पत पेढ़ी फेडरेशन ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है. 

मुंबई और महाराष्ट्र में छोटे और असंगठित कारोबारियों का सहारा हैं हजारों कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटियां जो आसान किस्तों पर छोटे-छोटे कर्ज देती हैं. पेंटर मोहन गाड़े कहते हैं कि बड़े बैंक तो नहीं, झोपड़ पट्टी में तो ये पतपेढ़ी में हम थोड़ा पैसा जमा करते हैं तो बदले में डबल कर्ज देते हैं. कारोबार करने में मदद हो जाती है.

मुंबई में 1400 और महाराष्ट्र में 22000 के करीब क्रेडिट सोसायटियां हैं. इनका सालाना 40 हजार करोड़ के करीब का कारोबार है और साढ़े चार लाख के करीब लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद ये लोग कठिन दौर से गुजर रहे हैं. 

मनेजर संभाजी पाटिल ने बताया कि मेरे यहां 25 कलेक्शन एजेंट हैं लेकिन अभी 8 ही आ रहे हैं. कुछ लॉकडाउन में गांव में फंसे हैं. डेली  7 से 8 लाख का कलेक्शन था, अब 90 हजार से एक लाख ही हो रहा है. दत्तसेवा सहकारी पतपेढ़ी के चेयरमैन आनंद माइंगडे कहते हैं कि पहले जो लिक्विडिटी फंड था उससे काम चल रहा है. आज के दिन जो कलेक्शन आ रहा, वो जा रहा है. ये बहुत खराब नही है और जल्द ही ठीक हो जाएगा, ऐसी उम्मीद है.

सरकार ने अब आत्मनिर्भरता का नारा दिया है लेकिन कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटियां दशकों पहले से छोटे-छोटे स्वरोजगार करने वालों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम योगदान दे रही हैं. कोरोना काल में अब इन्हें सरकार की मदद की दरकार है.

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फेडरेशन ने एनसीपी नेता शरद पवार से मिलकर मदद की गुहार लगाई है. महाराष्ट्र राज्य सहकारी पत पेढ़ी फेडरेशन के संस्थापक डायरेक्टर वसंतराव शिंदे ने कहा कि मीडियम टर्म के लोन अगर लांग टर्म में बदलने की इजाजत सरकार देती है तो उन्हें एनपीए में बदलना नहीं पड़ेगा और कर्जदार को भी सेटल करने का मौका मिलेगा और सब कुछ ठीक हो जाएगा.  

इस बीच राष्ट्रीय और कोऑपरेटिव बैंकों का बचत पर ब्याज दर घटाना कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी के लिए वरदान साबित हो रहा है. फेडरेशन का दावा है कि डेली कलेक्शन भले ही घटा है लेकिन यहां ज्यादा ब्याज दर होने की वजह से एफडी में बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई है.