पिता मजदूरी, तो मां करती हैं झाड़ू-पोछा... बेटी 10वीं में लेकर आई 68% अंक तो मिला सरकारी फ्लैट

100%-99% के दौड़ में इंदौर में रहने वाली भारती खांडेकर दसवीं बोर्ड परीक्षा में 68% फीसद अंक लेकर आई हैं, फिर भी उनका नाम सुर्खियों में है उनके संघर्ष की वजह से.

पिता मजदूरी, तो मां करती हैं झाड़ू-पोछा... बेटी 10वीं में लेकर आई 68% अंक तो मिला सरकारी फ्लैट

भारती खांडेकर को 10वीं में मिला 68% अंक, तो मिला सरकारी फ्लैट

भोपाल:

100%-99% के दौड़ में इंदौर में रहने वाली भारती खांडेकर दसवीं बोर्ड परीक्षा में 68% फीसद अंक लेकर आई हैं, फिर भी उनका नाम सुर्खियों में है उनके संघर्ष की वजह से. भारती के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और यह उपलब्धि उसने शिवाजी नगर के फुटपाथ पर रहकर, पढ़ाई कर हासिल की है. वैसे अब भारती फुटपाथ पर नहीं रहेंगी इंदौर नगर निगम ने भारती के परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भूरी टेकरी पर बने फ्लैटों में से एक फ्लैट देने का फैसला किया है.

प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़े प्रशांत दीघे ने बताया की इंदौर नगर निगम कमिश्नर ने इस मामले में संज्ञान लेकर भारती के परिवार को 1 बीएचके फ्लैट दिया. यह भी व्यवस्था की जा रही है कि उसे आगे की शिक्षा के लिये पैसों की दिक्कत ना हो. उसे  टेबल, कुर्सी, किताबें, कपड़े भी दिये जा रहे हैं. इंदौर के अहिल्या आश्रम स्कूल में पढ़ने वाली भारती नगर निगम के सामने बने शिवाजी मार्केट के फुटपाथ पर अपने परिवार के साथ रहती है और यहीं पर पढ़ाई भी करती है.

भारती खुश है कि उसने अपने माता-पिता, शिक्षकों धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा "मैंने दसवीं कक्षा में 68 फीसदी हासिल किए. मेरी सफलता का श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है जिन्होंने मुझे स्कूल भेजने के लिए कड़ी मेहनत की. मैं खुश हूं. मैं एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती हूं. हम फुटपाथ पर पैदा हुए और वहां पढ़ाई की, रहने के लिए एक घर नहीं था, हम फुटपाथ पर रह रहे थे. मैं इस घर के लिये, आगे की पढ़ाई के लिये प्रशासन को धन्यवाद देना चाहती हूं.

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नया घर मिलने के बाद उसके पिता दशरथ भी बेहद खुश हैं. कहते हैं कि मेरी पत्नी और मैं दिहाड़ी मजदूर हूं. मेरी बेटी दसवीं कक्षा पास कर चुकी है. मैं चाहता हूं कि वह एक अधिकारी बने. मेरे दो बेटे भी हैं. हम एक फुटपाथ पर रहते थे. हमें उपहार स्वरूप घर दिया गया था क्योंकि मेरी बेटी ने अच्छे से परीक्षा उत्तीर्ण की थी.

भारती की मां कहती हैं कि हमारे लिए, मेरी बेटी देवी लक्ष्मी की तरह है. मेरे पति और मैं, दोनों निरक्षर हैं. लेकिन हमारे बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की. मुझे हर महीने 2,000 रुपये मिलते हैं. मेरी बेटी ने बहुत मेहनत से पढ़ाई की. दशरथ सुबह ही मजदूरी करने चले जाते हैं, उनकी पत्नी उस वक्त एक स्कूल में झाड़ू-पोछा करने चली जाती हैं. भारती दोनों छोटे भाइयों को संभालती है. फिर रात 1 बजे तक पढ़ती है, तब मां-बाप बारी-बारी से जागकर उसकी रखवाली करते हैं.