
''शीर्ष अधिकारियों के रवैये ने उन्हें विश्वास दिलाया कि यह उतना गंभीर नहीं है जितना कि दुनिया इसे समझती है. "
अमिनेता और राजनेता कमल हासन ने कोरोनावायरस महामारी से निपटने को लेकर तमिलनाडु की ई पलानीस्वामी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. कमल हासन ने राज्य सरकार पर पारदर्शिता की कमी और कुप्रबंधन का आरोप लगाया. कमल हासन ने कोरोनोवायरस द्वारा चुनौती का सामना करने के लिए "चेन्नई बचाओ" आंदोलन की शुरुआत की है. आपको बता दें कि कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों की बात करें तो तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है. यहां एक लाख 11 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें राज्य की राजधानी चेन्नई का एक बड़ा हिस्सा भी है.
एनडीटीवी से बातचीत में कमल हासन ने कहा,“मुझे लगता है कि कुप्रबंधन के बारे में बात करने में बहुत देर हो चुकी है. इसलिए हम नागरिकों के रूप में अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं के लिए स्थिति का प्रबंधन करने में लगे हैं, क्योंकि यह सरकार नागरिक भागीदारी के लिए उत्सुक होती, तो बेहतर होता.'
कमल हासन ने बताया कि केरल जिसने कोविड-19 से लड़ाई में अतुलनीय काम किया है उससे कहीं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं तमिलनाडु में हैं. लेकिन तमिलनाडु उसका सही तरीके से उपयोग करने में असफल रहा है. यह सरकार की उदासीनता का एक उदारहण है.
उन्होंने कहा, "यह उदासीनता है क्योंकि उन्होंने सोचा था कि यह दूर हो जाएगा या अनजान थे और मेडिकल काउंसिल की बात नहीं सुनी. शीर्ष अधिकारियों के रवैये ने उन्हें विश्वास दिलाया कि यह उतना गंभीर नहीं है जितना कि दुनिया इसे समझती है. "
फरवरी 2018 में अपनी राजनीतिक पार्टी मक्कल नीडि माईम बनाने वाले 65 वर्षीय कमल हासन ने कहा कि जमीन पर लोगों के साथ कोई संवाद नहीं था और सरकार कभी भी नागरिक भागीदारी नहीं चाहती थी.अब नागरिकों को अधिक सावधान रहना है और जिम्मेदारियों को निभाना है इसके साथ ही उन्हें सरकार की मदद भी करनी है.यह सरकार के बिना नहीं किया जा सकता है, उन्होंने कहा कि लोगों को सरकार के बुनियादी ढांचे की जरूरत है.
कमल हासन ने राजनीतिक दलों से भी अपील करते हुए कहा, 'लोगों को अभी साथ काम करना होगा और बाद में हम राजनीतिकरण पर वापस जा सकते हैं.'