
प्रतीकात्मक फोटो.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इटालियन नाविकों के मामले में भारत को UN Convention on the Law of the Sea (UNCLOS) के ट्रिब्यूनल में जीत हासिल हुई है. ट्रिब्यूनल ने कहा है कि UNCLOS के नियमों के तहत भारतीय अधिकारियों की कार्रवाई सही थी. इटालियन सैन्य अधिकारियों यानी इटली UNCLOS Article 87(1)(a) और 90 के मुताबिक भारत के नेविगेशन के अधिकार को रोक रहा था. दोनों में भारत और इटली को इस घटना पर कार्रवाई का अधिकार था. कानूनी अधिकार भी था कि इटालियन नाविकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करें.
ट्रिब्यूनल ने इटली के दोनों नाविकों को हिरासत में रखने के लिए भारत से मुआवज़े की मांग को खारिज कर दिया. लेकिन ये माना कि इन नाविकों को देश के लिए काम करने के कारण भारतीय अदालतों की कार्रवाई से इम्युनिटी थी. लेकिन भारत को जान माल के नुकसान के लिए हर्जाना बनता है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि भारत और इटली आपस में विचार कर हर्जाने की रकम तय कर सकते हैं.
ये मामला 2012 का है जब इटालियन नाविक सैलवाटोर गिरोन और मैसीमिलानो लैटोर पर केरल के पास समुद्र में दो भारतीय मछुआरों को गोली मारने का आरोप लगा. इस मामले में सबसे बड़ा सवाल अधिकार क्षेत्र का था. इटली का कहना था कि ये घटना भारत की समुद्री सीमा के बाहर घटी लेकिन भारत ने इस पर सवाल उठाए. भारत ने ये भी कहा कि क्योंकि मारे गए मछुआरे भारतीय थे तो मामले को भारतीय कानूनों के तहत निबटाया जाए.