क्या दोबारा लौट सकती है स्वाइन फ्लू की महामारी? चीन में मिला वायरस का नया टाइप

चीन में रिसर्चर्स को स्वाइन फ्लू का एक नया टाइप मिला है, जो एक नई महामारी शुरू कर सकता है. सोमवार को यूएस साइंस जर्नल PNAS में एक पब्लिश की गई स्टडी में यह तथ्य सामने आया है. फ्लू के इस नए टाइप का नाम G4 है और यह  H1N1 के उसी स्ट्रेन से निकला है, जिसने 2009 में महामारी फैलाई थी.

क्या दोबारा लौट सकती है स्वाइन फ्लू की महामारी? चीन में मिला वायरस का नया टाइप

स्वाइन फ्लू का मिला नया टाइप, महामारी बनने के पूरे लक्षण. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • स्वाइन फ्लू का नया टाइप मिला
  • महामारी बनने के पूरे लक्षण मौजूद
  • इंसानों से इंसानों में फैलना का अभी प्रमाण नहीं
वॉशिंगटन:

चीन में रिसर्चर्स को स्वाइन फ्लू का एक नया टाइप मिला है, जो एक नई महामारी शुरू कर सकता है. सोमवार को यूएस साइंस जर्नल PNAS में एक पब्लिश की गई स्टडी में यह तथ्य सामने आया है. फ्लू के इस नए टाइप का नाम G4 है और यह  H1N1 के उसी स्ट्रेन से निकला है, जिसने 2009 में महामारी फैलाई थी. चीन के सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है. उनका कहना है कि इस नए टाइप में इंसानों को संक्रमित करने की सभी लक्षण मौजूद हैं. 

बता दें कि 2011 से 2018 के बीच रिसर्चर्स ने 10 चीनी प्रांतों और वेटेरिनिरी अस्पतालों से 30,000 सुअरों का नज़ल स्वाब (nasal swab) लिया था, इसमें से उन्होंने 179 स्वाइन फ्लू के वायरस अलग किए थे. इनमें से अधिकतर वायरस नए टाइप के हैं, जो 2016 के बाद सुअरों में बड़े स्तर पर पाए गए हैं.

इसके बाद रिसर्चर्स ने नेवलों पर इस वायरस के कई प्रयोग किए. चूंकि इनमें बुखार, खांसी और छींक जैसे लक्षण इंसानों से काफी मिलते हैं इसलिए नेवलों का फ्लू के परीक्षणों में काफी इस्तेमाल होता है. इस रिसर्च में सामने आया कि नेवलों में G4 ने दूसरे फ्लू के वायरसेज़ से कहीं ज्यादा संक्रमण फैलाया. टेस्ट में यह भी सामने आया कि मौसमी फ्लू (seasonal flu) से बॉडी में प्रतिरोधक क्षमता में अनुकूलता G4 के सामने ज्यादा कारगर नहीं होती है.

रिसर्चर्स ने जो ब्लड टेस्ट लिए हैं, उसमें पाया गया है कि वायरस के संपर्क में आने के बाद एंटीबॉडी बनी थीं, लेकिन सुअरों के फार्म पर काम करने वाले 10.4 फीसदी लोग पहले ही इससे संक्रमित हो चुके थे. इसमें यह भी पाया गया कि 4.4 फीसदी आम जनसंख्या भी इससे प्रभावित हो चुकी है. इसका मतलब है कि यह वायरस जानवरों से इंसानों में जा चुका है लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है कि यह इंसानों से इंसानों में पास हो सकता है या नहीं. रिसर्चर्स का मानना है कि इंसानों के शरीर में मौजूद यह वायरस उनके शरीर के मुताबिक अपनी अनुकूलता बढ़ा सकता है, जिससे इंसानों में महामारी का खतरा बढ़ जाता है. वैज्ञानिकों ने सुअरों के साथ काम करने वाले लोगों की सख्ती से निगरानी करने की सलाह दी है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)