छत्तीसगढ़: मजदूरों को 21 दिनों के क्वारंटीन में रखा, 500 रुपए भी लिए और प्रशासन को खबर भी नहीं

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में कुछ लोगों को 14 दिनों तक सरकारी क्वारंटीन सेंटर में रखा गया, फिर 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में. इन लोगों से होम आइसोलेशन में रहने के लिए शपथपत्र तक भरवाया गया और 500 रुपए वसूले गए लेकिन इसकी जानकारी जिला प्रशासन को है ही नहीं.

छत्तीसगढ़: मजदूरों को 21 दिनों के क्वारंटीन में रखा, 500 रुपए भी लिए और प्रशासन को खबर भी नहीं

महासमुंद में बाहर से लौटे मजदूरों के साथ ज्यादती.

खास बातें

  • छत्तीसगढ़ में सामने आई अव्यवस्था
  • मजदूरों से की गई वसूली
  • जिला प्रशासन को कोई खबर ही नहीं
महासमुंद, छत्तीसगढ़:

देश में क्वारंटीन सेंटरों में अव्यवस्था की कई तस्वीरें सामने आई हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले से जो कहानी आ रही है वो अपने आप में अनूठी है. यहां कुछ लोगों को 14 दिनों तक सरकारी क्वारंटीन सेंटर में रखा गया, फिर 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में. इन लोगों से होम आइसोलेशन में रहने के लिए शपथपत्र तक भरवाया गया और 500 रुपए वसूले गए लेकिन इसकी जानकारी जिला प्रशासन को है ही नहीं. जिला प्रशासन कहता है कि उसे जानकारी नहीं है और जनपद स्तर पर अधिकारी कह रहे हैं कि यह स्थानीय व्यवस्था है.

बता दें कि छत्तीसगढ़ के बागबाहरा ब्लॉक में नवाडीह के रहने वाले डुगेश्वर ठाकुर मजदूरी करने ओडिशा गए थे लेकिन लाॅकडाउन के दौरान किसी तरह वापस लौटे तो पंचायत ने 14 दिनों तक सरकारी क्वारंटीन में रखा. फिर इतने ही दिनों के लिए उन्हें घर में आइसोलेशन में रहना पड़ा. आरोप है कि दो छोटे बच्चों के नाम पर भी 500-500 वसूले गए, शपथपत्र भरवाया गया और कहा गया होम क्वारंटीन की शर्त पूरी करेंगे तो पैसे मिल जाएंगे.

यही कहानी कई दूसरे मजदूरों की भी है. डुगेश्वर ठाकुर नाम के एक मजदूर ने बताया, 'ओडिशा गया था. लॉकडाउन में घर आ गया, पंचायत में क्वारंटीन रखा. हर आदमी का 500 लिया, 4 आदमी गया था 2000 लिया. कहा कि शासकीय नियम है अभी बनकर आया है. चंद्रिका ठाकुर ने कहा, 'खाना पीना भी घर पर किया. इन लोगों ने कहा घर में रहोगे 14 दिन तो पैसा मिलेगा, बोला नया नियम है, पंचायत से कुछ नहीं मिलेगा.'

रत्थू यादव और जसवंत बेहरा जैसे कुछ दूसरे मजदूर भी रायपुर गए थे, उनको भी पैसे देने पड़े, जसवंत बेहरा तो महासमुंद नानी के घर गए लौटे, तो उनसे भी क्वारंटीन के नाम पर पैसे वसूले गए.  इस मामले में मजे की बात ये है कि पंचायत स्तर पर लोग कहते हैं, अधिकारियों ने आदेश दिया. वहीं, अधिकारी कहते हैं कि यह स्थानीय व्यवस्था थी. जिला स्तर पर अधिकारी कहते हैं उन्हें कुछ पता ही नहीं है. 

पंचायत सचिव विद्याचरण पटेल का कहना है कि अधिकारियों ने कहा है कि 500 रुपए लेना है. वहीं एसडीएम भागवत जायसवाल का कहना है कि यह स्थानीय व्यवस्था है, होम क्वारंटीन में रहने वाले लोगों ने पालन किया. जिला पंचायत के सीईओ रवि मित्तल का कहना है, 'इसकी जानकारी मुझे आपके माध्यम से मिली है, इसके बारे में पता करवाकर बता पाऊंगा. शासन से इस बारे में कोई आदेश नहीं है.'

बता दें कि सिर्फ बागबाहरा जनपद में 11 हजार से अधिक प्रवासी मजदूरों को गांव वापसी पर क्वारंटीन किया गया और प्रति व्यक्ति 500 रुपए वसूले गए. पूरे राज्य में फिलहाल 21183 क्वारंटीन सेंटर हैं, जिसमें 1,67,075 मज़दूर हैं. जबकि होम आइसोलेशन और क्वारंटीन सेंटर मिलाकर कुल आंकड़ा है 642524. ऐसे में मजदूरों की नौकरी गई, लॉकडाउन में फंसे रहे तो हाथ के पैसे भी गए. गांव लौटे तो जो था वो भी गंवा दिया. यह ठीक है कि घर पर बने रहने के लिए स्थानीय स्तर पर व्यवस्था कर ली गई लेकिन क्या पहले से परेशान लोगों को और परेशान करना न्यायोचित है? जब कोई नियम या लिखित आदेश ही नहीं है तो शपथपत्र के साथ पैसों की वसूली क्यों की गई?

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