
झारखंड सरकार ने NGT के आदेश को लागू करने का निर्देश दिया है. (फाइल फोटो)
खास बातें
- झारखंड सरकार ने किया फैसला
- NGT के आदेश को लागू करने का निर्देश
- बालू का उठाव बंद होने से मजदूर परेशान
'सच पूछिए तो हमारी जिंदगी रेत की तरह फिसल रही है', दिहाड़ी मजदूर रमेश मुंडा एक सांस में इतना बोल क्षण भर के लिए चुप हो जाते हैं. दरअसल पूरे झारखंड में बालू का उठाव बंद होने से दिहाड़ी मजदूरों को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. रौशन महतो राज मिस्त्री हैं. वो कहते हैं, 'ना जाने किसने हमारे पेशे को नाम दिया राज मिस्त्री. बालू ने तो भूखमरी की नौबत ला दी है. गांव छोड़ शहर आए अब किधर पलायन करें.' हालांकि इस फैसले का विरोध भी तेज है. विरोध का सीधा असर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर दिखने लगा है. नगड़ी से काम की तलाश में राजधानी आई सुशीला कहती हैं, 'बाबू, बालू की वजह से ही निवाले पर आफत आन पड़ी है.' यह स्थिति सरकार के एक फैसले से बनी है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने बालू उठाव एवं आपूर्ति के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश को राज्य में लागू करने का निर्देश दिया है. इसके तहत 10 जून, 2020 से 15 अक्टूबर, 2020 तक बालू के खनन पर रोक लगा दी गई है.
विभाग ने कहा है कि भंडारण स्थल से बालू का परिवहन मात्र ट्रैक्टर से किया जाए. बड़े वाहनों जैसे हाइवा, डम्फर आदि का उपयोग नहीं किया जाए. सरकार के इस फैसले सभी लोग परेशान हैं और सभी का यही सवाल है कि आखिर ट्रैक्टर से इतनी बड़ी मांग कैसे पूरी की जाएगी.
झारखंड सरकार द्वारा बालू की जो दर निर्धारित की गई है, उसके अनुसार 100 CFT की दर लगभग 800 रुपये है. एक टर्बो 709 ट्रक में 130 CFT बालू की क्षमता है. इसका भाड़ा आदि खर्च जोड़कर दर करीब 2200 से 2500 रुपये तक ही आती है. जबकि आज की तिथि में इस दर पर कहीं भी बालू की आपूर्ति नहीं हो रही है. मांग के अनुरूप बालू की आपूर्ति नहीं हो रही है. जिसके कारण कालाबाजारी बढ़ गई है.
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