कांग्रेस का आरोप- इन चीनी कंपनियों ने PM Cares Fund में दिया है पैसा

पीएम केयर्स फंड कोविड-19 महामारी के कारण आने वाली किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के उद्देश्य से इस साल मार्च में बनाया गया था.

कांग्रेस का आरोप- इन चीनी कंपनियों ने  PM Cares Fund में दिया है पैसा

कांग्रेस ने पीएम केयर्स फंड में चीनी पैसा आने का लगाया आरोप (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

बीजेपी की ओर से राजीव गांधी फाउंडेशन (RGF) की फंडिंग पर सवाल उठाए जाने के बाद अब कांग्रेस ने सरकार पर पलटवार किया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (PM CARES Fund) में चीनी कंपनियां दान दे रही हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने चीनी कंपनियों का नाम लेते हुए पीएम केयर्स फंड में डोनेशन देने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है पीएम केयर्स फंड में 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा पैसा चीन से आया है. 

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि पीएम केयर्स फंड में 9678 करोड़ रुपये चीन से आया है. PM Cares Fund में 7 करोड़  रुपये Huwai द्वारा दिया गया है. यह कम्पनी चीनी आर्मी PLA से सम्बंधित है. टिक-टॉक ने 30 करोड़ रुपये , Paytm ने 100 करोड़ रुपये दिए हैं. जिओमी से 15 करोड़ और ओप्पो से 1 करोड़ रुपये की सूचना है.

पीएम केयर्स फंड कोविड-19 महामारी के कारण आने वाली किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के उद्देश्य से इस साल मार्च में बनाया गया था. तब से ही कुछ विपक्षी दलों की यह मांग रही है कि इस फंड में आने वाले दान को सार्वजनिक किया जाए. समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा की एक खबर के मुताबिक, सिंघवी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के 2007 से ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) से संबंध रहे हैं और राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और अमित शाह जैसे उसके अध्यक्षों का चीन के साथ अधिकतम संपर्क रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर हमला किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- "पीएम-केयर्स फंड 28-03-2020 को स्थापित किया गया था. चीनी स्वामित्व वाली कंपनियों ने उस तिथि से धन दान किया. चीनी सैनिकों ने मार्च-अप्रैल 2020 में लद्दाख में घुसपैठ शुरू की. क्या चीन की मंशा को समझने के लिए बड़ी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है?

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उन्होंने आगे लिखा, "झूला कूटनीति और चीनी धन द्वारा भारत को शालीनता से ललकारा. क्या यह मोदी सरकार की ओर से एक अपमानजनक विफलता नहीं थी?"

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