
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी (फाइल फोटो).
बिहार में राजधानी पटना को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु के समानांतर एक पुल का निर्माण फिर से अधर में लटक गया है हालांकि इस पुल के निर्माण की घोषणा पांच वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने बिहार के विशेष पैकेज में की थी और इसके टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी हो गई थी. लेकिन फ़िलहाल तकनीकी आधार पर इस टेंडर को रद्द कर दिया गया है. हालांकि आधिकारिक सूत्रों की मानें तो इस टेंडर में कुछ चीनी कंपनियों की भागीदारी के कारण भी इस निविदा को फ़िलहाल स्थगित किया गया है और इसका फिर से टेंडर कराया जाएगा.
हालांकि ये पूरी प्रक्रिया एनएचएआई के अधीन है और बिहार का पथ निर्माण विभाग इस पर मौन है. लेकिन बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इसे अब राजनीतिक रूप से अपने विरोधियों को घेरने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. सुशील मोदी ने सोमवार को अपने ट्वीट में कहा कि महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले पुल में चीनी कंपनी का ठेका रद करने का फैसला हालांकि तकनीकी आधार पर लिया गया है, लेकिन इसी बहाने सरकार पर सवाल उठाने वाले राजद-कांग्रेस के लोगों को पहले राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले 90 लाख के चीनी चंदे पर देश को जवाब देना चाहिए.
सुशील मोदी ने कहा कि यूपीए-1 के समय जब लालू प्रसाद केंद्र में मंत्री थे तब चीनी दूतावास ने हर साल सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले फाउंडेशन को चंदा दिया था. तब सोनिया चीनी चंदे ले रही थीं और लालू प्रसाद रेलवे के होटल के बदले जमीनें लिखवा रहे थे. यूपीए के दोनों दल न केवल पैसे बनाने में लगे थे बल्कि एक-दूसरे के भ्रष्टाचार पर चुप रहने की सहमति के आधार पर सत्ता की मलाई काट रहे थे.
लेकिन अब सवाल है कि क्या इस पुल का कार्यारंभ आगामी विधानसभा चुनाव के पूर्व हो पाएगा? क्योंकि इस पुल के निर्माण में विलंब नीतीश कुमार सरकार के लिए मुश्किलें इसलिए बढ़ा सकता है क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी पहले डिजिटल रैली में दावा किया था कि प्रधानमंत्री पैकेज के सभी वादों और परियोजना पर काम शुरू हो गया है.