
सृजन घोटाले में CBI ने शनिवार को एक चार्जशीट दाखिल की है.
बिहार का सृजन घोटाला शायद देश के उन गिने चुने घोटालों में से एक है जहां जांच एजेंसी सीबीआई आरोप पत्र तो दायर कर रही हैं लेकिन इस संस्था के कर्ताधर्ता मतलब सृजन की सचिव प्रिया और उनके पति अमित की गिरफ़्तारी की कोशिश नहीं की जा रही है. लेकिन इस मामले में सीबीआई ने शनिवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है. लेकिन इसकी फांस ऐसी है कि विपक्ष को सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ हमला करने का मौका मिल सकता है.
क्योंकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में केपी रमैया जनता दल यूनाइटेड के टिकट से सासाराम में पार्टी के प्रत्याशी भी रहे हैं. चुनाव हारने के बाद उन्हें एक ट्रिब्युनल का अध्यक्ष भी बनाया गया. बाद में नीतीश कुमार से उनके सम्बंध में खटास इसलिए आ गई क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को नीतीश के ख़िलाफ़ भड़काने वालों में रमैया भी एक थे.
हालांकि इससे पूर्व रमैया के ख़िलाफ़ बिहार में निगरानी विभाग ने महादलित विकास मिशन में एक पाँच करोड़ के घोटाले में चार्जशीट दायर कर चुकी है लेकिन माना ये जा रहा हैं उन्हें उनकी पहुंच के वजह से कभी गिरफ़्तार नहीं किया गया. पटना हाईकोर्ट का फ़ैसला जिसे बाद में ख़ारिज किया गया उसमें भी रमैया के मामले का विस्तार से चर्चा की गयी थी.
फ़िलहाल सीबीआई ने शनिवार को तीन आरोप पत्र दायर किए हैं. पहली चार्जशीट में 3.5 करोड़ की धोखाधड़ी, जालसाज़ी, भ्रष्टाचार और आपराधिक षड्यंत्र के लिए रमैया और 28 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया है. जिसमें बैंक अधिकारी, ज़िला अधिकारी के कार्यालय में काम करने वाले अधिकारी शामिल हैं. इससे पूर्व भी एक और पूर्व ज़िला अधिकारी वीरेंद्र यादव के ख़िलाफ़ सीबीआई ने चार्जशीट दायर किया था.
इन दोनों अधिकारियों पर राज्य सरकार के खाते से साज़िश कर सृजन के खाते में पैसे भेजने का आरोप है. और बाद में इस पैसे में घोटाला कर आपस में बांट लिया. सृजन घोटाला साल 2017 के अगस्त में सामने आया था. बैंक से जुड़े फ़र्ज़ीवाड़ा के मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी.
लेकिन इस मामले में ये एक रहस्य का विषय बना हुआ हैं कि अब तक 1400 करोड़ का घोटाला होने के बावजूद कभी भी मुख्य कर्ताधर्ता को गिरफ़्तार करने में जांच एजेंसी ने दिलचस्पी नहीं दिखायी.