कैसे 33 दिन में चीन ने गलवान में किया निर्माण, मजबूत की स्थिति

यह निर्माण गलवान नदी के तटबंध समेत भारतीय सेना के पेट्रोलिंग प्वाइंट के करीब किया गया है. इस प्वाइंट का नाम पेट्रोल प्वाइंट 14 (PP-14) है. जहां पर चीनी और भारतीय जवानों के बीच 15 जून को झड़प हुई थी.

कैसे 33 दिन में चीन ने गलवान में किया निर्माण, मजबूत की स्थिति

नई दिल्ली:

चीन और भारत के बीच पूर्वी लद्दाख में हुई सैन्य झड़प के बाद दोनों देश क्षेत्र में शांति बहाल करने और अपनी सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमत हुए हैं. इस बीच, एनडीटीवी को मिली सैटेलाइट तस्वीरों से यह साफ दिख रहा है कि चीन ने गलवान में नदी के मोड़ पर निर्माण किया है. यह नदी एलएसी से होकर गुजरती है और इसका बहाव भारतीय क्षेत्र में है. ये तस्वीरें 22 मई से 26 जून के बीच की हैं. 

यह निर्माण गलवान नदी के तटबंध समेत भारतीय सेना के पेट्रोलिंग प्वाइंट के करीब किया गया है. इस प्वाइंट का नाम पेट्रोल प्वाइंट 14 (PP-14) है. जहां पर चीनी और भारतीय जवानों के बीच 15 जून को झड़प हुई थी. इस झड़प में एक कर्नल समेत भारतीय सेना के 20 जवानों की मौत हो गई थी. भारत का मानना है कि चीन की सेना के एक कर्नल समेत कम से कम 45 जवान भी मारे गए थे. 

कहा जाता है कि गलवान नदी के मोड़ पर तटबंध भारतीय क्षेत्र में आता है. दूसरे शब्दों में कहे तो यह स्पष्ट रूप से चीनी सेना की घुसपैठ को दर्शाता है. गूगल अर्थ प्रो पर एलएसी को दर्शानी वाली रेखा की माने तो चीन के सैनिकों ने 137 मीटर तक घुसपैठ की है. हालांकि, लद्दाख में एलएसी को वास्तविक रूप से परिसीमन नहीं किया गया है कि क्षेत्र में घुसपैठ हुई है या नहीं यह एक विवाद का विषय है.

हालांकि, जो स्पष्ट है वह यह है कि भारतीय सेना दशकों से तटबंध इलाके तक गश्त करती रही है. गलवान बेसिन में चीन की निर्माण गतिविधि से अब यह संभव नहीं लगता है. 

यह तटबंध महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन की सेना को गलवान घाटी में गलवान घाटी में भारत की स्थिति को देखने में सक्षम बनाता है. तटबंध के सामने नदी पर एक पत्थर की दीवार बनाई गई है, जो कि भारतीय सेना की रक्षात्मक स्थिति को दर्शाता है. 26 जून को प्राप्त हालिया तस्वीरों में गलवान में  बढ़ते हुए पानी की वजह से कुछ हिस्से जलमग्न हो गए हैं. इस जगह पर भारतीय जवानों की मौजूदगी नहीं दिखाई पड़ रही है.

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Maxar और प्लेनेंट लैब्स से एनडीटीवी को मिली तस्वीरों से 22 मई को तटबंध पर इग्लू स्टाइल के सिंगल शेलटर की मौजूदगी और 20 सैनिकों की मौजूदगी के संकेत मिलते हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये भारतीय जवान हैं या चीनी सैनिक हैं. 22 मई को इस संरचना के आसपास कोई निर्माण गतिविधि दिखाई नहीं दे रही है. अगली तस्वीर भारत और चीन के बीच झड़प के एक दिन 16 जून की है. 16 जून की इमेज में मलबा दिख रहा है, इसमें किसी निर्माण या सैनिक होने के कोई संकेत नहीं है.

इस साइट की बाद में मिली दो तस्वीरें पहले से बिल्कुल अलग हैं. Maxar से प्राप्त हाई रेज्यूलेशन इमेज तटबंध पर पत्थर से किलेबंदी की उपस्थिति को दर्शाती है. इसके कुछ हिस्सों में गुलाबी तिरपाल भी दिखाई दिए हैं. तटबंध क्षेत्र में कम से कम 50 सैनिकों की मौजूदगी प्रतीत हो रही है. इसमें से करीब 25 सैनिक तटबंध के सिरे से सिर्फ 150 मीटर दूर खड़े हैं. तटबंध के पास चट्टान की ओर कम से कम चार नए शेलटर दिखाई पड़ रहे हैं. 16 जून की तस्वीर या उससे पहले की तस्वीरों में किसी शेलटर की मौजूदगी नहीं दिखती है. 

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यहां दिखाई गई अंतिम इमेज 25 जून की प्लैनेट लैब्स की तस्वीर है और तटबंध में चीन की स्थिति को मजबूत करती प्रतीत होती है. गुलाबी रंग की कुछ तिरपालों को काले रंग के तिरपालों से बदल दिया गया है. इस इलाके को साफ कर दिया गया है मालूम होता है. किलेबंदी अब नहीं दिखाई दे रही है. 22 जून की तस्वीरों में चट्टान के साथ लगे हुए शेलटर यहां भी दिखाई दे रहे हैं. गौरतलब है कि 22 जून की तस्वीर में गलवान नदी उफान पर है. इसमें नदी के तट के विपरीत (भारतीय सेना की पोजिशन) पत्थर की दीवार का एक हिस्सा जलमग्न दिखाई पड़ रहा है.

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गलवान नदी के मोड़ पर तटबंध की तस्वीरें चीनी सेना की गतिविधि के संकेत देती हैं.  यह तटबंध नौ किलोमीटर के  एक क्षेत्र (Stretch) के अंत में हैं. एलएसी के पास 9 किलोमीटर के इलाके में चीनी सेना के 16 से ज्यादा कैंप हैं और साथ ही सैकड़ों वाहन और पुलिया है. यह सभी इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि 26 जून तक गलवान घाटी में आपसी सहमति से सैन्य मौजूदगी को कम करने के कोई संकेत नहीं है.

वीडियो: चीन ने गलवान घाटी में किया निर्माण