लोगों को मजबूरी में बदलना पड़ रहा है काम, लॉकडाउन में इस्त्री करने को मजबूर

करीब 30 साल तक मोहम्मद नईम देश-विदेश में गाड़ी चलाते रहे. जिस कंपनी से वो जुड़े थे, वो इन्हें मोबाइल फोन पर जानकारी देती थी कि गाड़ी किसके यहां चलानी है और इसी तरह से इनका काम चल रहा था. पर लॉकडाउन के बाद से अब काम बंद हो चुका है.

लोगों को मजबूरी में बदलना पड़ रहा है काम, लॉकडाउन में इस्त्री करने को मजबूर

मुंबई:

कोरोनावायरस (Coronavirus) के के संक्रमण को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन (Coronavirus Lockdownn) में जहां कई लोगों को अपने काम से हाथ धोना पड़ा तो वहीं अब लोग मजबूरी में सब्ज़ी बेचने या कपड़े इस्त्री करने को मजबूर हैं और पहले की तुलना में लोगों की आमदनी में भी कमी आई है. करीब 30 साल तक मोहम्मद नईम देश-विदेश में गाड़ी चलाते रहे. जिस कंपनी से वो जुड़े थे, वो इन्हें मोबाइल फोन पर जानकारी देती थी कि गाड़ी किसके यहां चलानी है और इसी तरह से इनका काम चल रहा था. पर लॉकडाउन के बाद से अब काम बंद हो चुका है. इनकी बेटी की भी नौकरी चली गई है और इसलिए अपना गुज़ारा करने के लिए कपड़ों पर इस्त्री करने को मजबूर हैं

मोहम्मद नईम ने कहा, 'लॉकडाउन की वजह से हमें इतनी मजबूरियां उठानी पड़ रही हैं, लॉकडाउन में ऑफिस भी बंद है, कोई बुला नहीं रहा है, उन्होंने भी मना कर दिया है, जब दफ्तर खुलेंगे तब हमें बुलाएंगे, इसलिये अब मजबूरी में यह करना पड़ रहा है.

इसी तरह की कहानी और लोगों की भी है. कोई अब सब्ज़ी बेच रहा है तो कोई पानीपुरी के ठेले लगा रहा है, साथ में काम करने वाले दूसरे मजदूर भी बेरोज़गार हो गए हैं.

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अतीत नाम के शख्स ने बताया, 'पहले मैं टेलरिंग का काम करता था पर अब काम बंद होने की वजह से भाजी बेच रहा हूं.'
एक अन्य व्यक्ति‍ ने बताया कि पहले उसका कारखाना था पर अब हालात खराब होने के वजह से पानीपुरी बेचने पर मजबूर है और 100 से 200 रुपये कमा लेता है.

मई में देश भर में बेरोज़गारी दर 23 फीसदी से ज़्यादा थी. अबतक जिन लोगों ने अपना रोजगार नहीं बदला है, वो भी खाली पड़े बाज़ारों से परेशान हैं, नहीं पता कि आगे का गुज़ारा कैसे होगा.