
बिहार के शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण का मामले में CBI ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर बताया है कि राज्य में 17 आश्रय घरों में यौन और शारीरिक शोषण के आरोपों की जांच पूरी हो गई है. दो मामलों में जहां आगे की जांच चल रही है सीबीआई ने बताया है कि उसने कई जिलों में जिलाधिकारियों सहित " सरकारी अफसरों" के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है. सीबीआई ने कहा कि इन मामलों में लोकसेवकों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा "घोर लापरवाही" के सबूत पाए गए हैं. इसलिए सरकारी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने और गैर सरकारी संगठनों के पंजीकरण को रद्द कर उन्हें और उनके पदाधिकारियों को ब्लैक लिस्ट करने के लिए बिहार सरकार को रिपोर्ट भेजी गई है.
सीबीआई ने कहा है कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह और मोतिहारी में प्रवास गृह के बारे में और जांच चल रही है और 13 मामलों में सक्षम अदालतों के समक्ष फाइनल रिपोर्ट दायर की गई है.
चार मामलों में प्रारंभिक जांच में कोई सबूत नहीं मिला इसलिए जांच बंद कर दी गई. सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत अदालत 19 लोगों को दोषी ठहरा चुकी है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट उन मामलों की निगरानी कर रहा है और अदालत ने मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी थी.
अदालत ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले का ट्रायल दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को सजा सुना चुकी है.