
प्रतीकात्मक तस्वीर
हरियाणा सरकार ने निजी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज के लिए अधिकतम शुल्क तय कर दिया है. ऐसे अस्पताल जोकि एनएबीएच से मान्यता प्राप्त नहीं हैं,वेटिंलेटर की आवश्यकता वाले आईसीयू में भर्ती मरीजों से अधिकतम 15,000 रुपये प्रतिदिन की दर से शुल्क ले सकते हैं. सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को जारी आदेश के मुताबिक, ऑक्सीजन और सहायक सुविधाओं के साथ आइसोलेशन बिस्तर के लिए एक मरीज से प्रतिदिन 8,000 रुपये का शुल्क तय किया गया है. इसके मुताबिक, अन्य बीमारियों से ग्रसित ऐसे कोविड-19 के मरीज, जिन्हें बिना वेंटिलेटर के आईसीयू की आवश्यकता है, उनसे प्रतिदिन के हिसाब से 13,000 रुपये का शुल्क लिया जाएगा.
इसी तरह वेंटिलेटर की आवश्यकता वाले आईसीयू में भर्ती मरीज से 15,000 रुपये प्रतिदिन तक का शुल्क लिया जा सकता है. इसी तरह, एनएबीएच (अस्पताल एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड) से मान्यता प्राप्त अस्पतालों में कोविड-19 मरीज के इलाज के लिए तीन श्रेणियों में प्रतिदिन क्रमश: 10,000 रुपये, 15,000 रुपये और 18,000 रुपये का शुल्क तय किया गया है.
इससे पहले मंगलवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा था कि हरियाणा सरकार निजी अस्पताल में इलाज कराने के इच्छुक लोगों समेत सभी के लिए सस्ता इलाज सुनिश्चित करेगी. सरकार ने अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे कोविड-19 के मरीजों से तय किए गए शुल्क से अधिक दर वसूल नहीं करें. साथ ही कहा कि आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके मुताबिक, पैकेज के रूप में सभी निर्धारित दरें शामिल हैं.
बाल रोगियों के मामले में भी यह दरें लागू रहेंगी लेकिन गर्भवती महिला के मामले में डिलीवरी संबंधित शुल्क अलग से वसूल किए जा सकते हैं. साथ ही आदेश में कहा गया है कि अस्पताल को कोविड-19 के मरीज के इलाज के मामले में निर्बाध सेवाएं उपलब्ध करानी चाहिए और उपचार के मानदंडों से कोई समझौता नहीं करना चाहिए. इसके मुताबिक, आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को कैशलेश आधार पर इलाज का लाभ मिलेगा.